पहली बार भारत आ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति का भारत दौरा क्यों अहम है…
नई दिल्ली : श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके अपने पहले विदेशी दौरे पर भारत में हैं तीन दिन के अपने इस दौरे के दूसरे दिन सोमवार को उनकी पीएम मोदी के साथ मुलाकात होगी। महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सितंबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतकर राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे जनता विमुक्ति पेरामुना के अनुरा ने लेफ्ट गठबंधन एनपीपी से चुनाव लड़ा था। उनकी पार्टी जेवीपी की छवि भारत विरोधी मानी जाती रही है।
भारत के बाद चीन जाएंगे
भारत दौरे के बाद अनुरा का चीन दौरे का भी कार्यक्रम है। भारत के लिए श्रीलंका के नए नवेले राष्ट्रपति का ये दौरा बहुत अहमियत रखता है। इसकी वजह ये है कि मालदीव में राष्ट्रपति मुइज्जू ने जिस तरह से भारत विरोधी बयानों के जरिए असहजता पैदा की, उससे निपटने में भारतीय डिप्लोमेसी को करीब करीब एक साल का समय लगा।
दूसरी चुनौती बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की ओर से आई, जहां हसीना के जाने के बाद मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार के साथ संबंध अभी तक सहज नहीं हो पाए हैं।
डिप्लोमैटिक लेवल पर करीबी
ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि पड़ोसी देश श्रीलंका के नए नेतृत्व के साथ डिप्लोमैटिक लेवल पर किसी तरह की दूरी देखने को मिले। वो भी तब जबकि श्रीलंका के आर्थिक संकट के बाद भारत ने श्रीलंका की लगातार मदद की है। इसलिए बांग्लादेश में विपक्षी दलों के सेंटीमेंट से बेखबर रहने की चूक यहां नहीं की गई।
उसका सबसे बड़ा उदाहरण अगस्त में देखने को मिला जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल अगस्त में कोलंबो गए थे। उस दौरान उन्होंने श्रीलंका में सितंबर महीने में होने वाले चुनाव में किस्मत आजमा रहे सभी उम्मीदवारों के साथ मुलाकात की थी। इसमें दिसानायके भी शामिल थे।
जीत के बाद दिए थे संकेत
दूसरी तरफ, दिसानायके के चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने अपने शुभकामना संदेश में साफतौर पर जाहिर किया था कि भारत श्रीलंका की नई सरकार के साथ काम करने को बेहद उत्सुक है। पीएम ने ये भी कहा था भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और विजन में श्रीलंका की खास जगह है। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर में में श्रीलंका का दौरा किया था।