दुश्मनों की नींद उड़ाने आया ‘जोरावर’, ऊंचे पहाड़ों पर पटखनी देगा भारत का यह टैंक
नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में भारत एक के बाद एक बड़ी कामयाबी हासिल कर रहा है। उसी क्रम में देश में निर्मित जोरावर लाइट टैंक का परीक्षण लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में चल रहा है। परीक्षण में टैंक की गोलाबारी सफल रही है। यह परीक्षण इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। जोरावर टैंक भारतीय सेना की गतिशीलता बढ़ाने की जरूरत को पूरा करेगा। चीन के लाइट टैंकों की तैनाती के जवाब में भारत ने यह टैंक बनाया है। डीआरडीओ और एलएंडटी मिलकर इस टैंक को बना रहे हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है।
जोरावर का परीक्षण लद्दाख के न्योमा में चल रहा है। इसमें टैंक की मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा की जांच की गई। परीक्षण पूरा होने के बाद, अगले साल इसे भारतीय सेना को परीक्षणों के लिए दिया जाएगा। यह टैंक DRDO और उसके निजी क्षेत्र के विकास और उत्पादन भागीदार को दिए गए 59 टैंकों के ऑर्डर का हिस्सा है। भारतीय सेना लद्दाख में अपनी गतिशीलता और युद्धाभ्यास क्षमता बढ़ाना चाहती है। चीन ने बड़ी संख्या में लाइट टैंक तैनात किए हैं। इसके जवाब में, सेना ने समान क्षमता विकसित करने की मांग की है। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हाल ही में इस परियोजना को मंजूरी दी है।
ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तेजी से चलेगा टैंक
डीआरडीओ, एलएंडटी के साथ मिलकर 25 टन वजन का लाइट टैंक बना रहा है। यह टैंक ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तेजी से चल सकता है। इसमें एक खास सुरक्षा प्रणाली भी है। यह सिस्टम टैंक को एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और प्रोजेक्टाइल से बचाता है। सेना चाहती है कि जोरावर पानी में भी चल सके। इससे इसे नदी वाले इलाकों में तैनात किया जा सकेगा। इसमें पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील भी शामिल है। यहां भारतीय सेना ने चीनी लाइट टैंकों का मुकाबला किया है।
चीन को भारत का मजबूत जवाब
जोरावर टैंक भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह टैंक ऊंचाई वाले इलाकों में सेना की क्षमता को बढ़ाएगा। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के सामने यह एक मजबूत जवाब है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विकसित होने से यह देश के रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देगा। यह टैंक भविष्य में भारतीय सेना की एक महत्वपूर्ण संपत्ति साबित होगा। इसके परीक्षण के नतीजे उत्साहजनक हैं।