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हिंदुओं पर हमले, चुप क्यों हैं नैतिकता के उपदेशक-उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को भारत के पड़ोस में हिंदुओं पर हमलों का जिक्र किया। धनखड़ ने हिंदुओं पर हमले को लेकर तथाकथित नैतिक उपदेशकों की चुप्पी पर सवाल उठाया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसी चीज के भाड़े के सैनिक हैं जो पूरी तरह से मानवाधिकारों के विपरीत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम बहुत सहिष्णु हैं और इस तरह के उल्लंघन के प्रति बहुत सहिष्णु होना उचित नहीं है। सोचें कि क्या आप उनमें से एक होते।

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ बर्बरता

बांग्लादेश का नाम लिए बिना उपराष्ट्रपति ने कहा कि लड़कों, लड़कियों और महिलाओं के साथ किस तरह की बर्बरता, यातना और मानसिक आघात का अनुभव किया जाता है, इसे देखिए। उन्होंने कहा कि हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है। उपराष्ट्रपति की टिप्पणी प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर व्यापक हमलों की खबरों के संदर्भ में थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान ‘अप्रिय घटनाओं’ के बाद कम से कम 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

भारत की छवि खराब करने की कोशिश

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि कुछ हानिकारक ताकतें भारत की ‘खराब छवि’ पेश करने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने ऐसे प्रयासों को बेअसर करने के लिए ‘प्रतिघात’ करने का आह्वान किया। धनखड़ ने साथ ही कहा कि भारत को दूसरों से मानवाधिकारों पर उपदेश या व्याख्यान सुनना पसंद नहीं है।

‘हमारे मानवाधिकार रिकॉर्ड पर उठा रहे सवाल’

उन्होंने यहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए विभाजन, आपातकाल लागू किए जाने और 1984 के सिख विरोधी दंगों को ऐसी दर्दनाक घटनाएं बताया, जो ”याद दिलाती हैं कि आजादी कितनी नाजुक होती है। धनखड़ ने कहा कि कुछ ऐसी हानिकारक ताकतें हैं जो एक सुनियोजित रूप से हमें अनुचित तरीके से कलंकित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि इन ताकतों का अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल कर ‘हमारे मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाने’ का ‘दुष्ट इरादा’ है।

भूखमरी सूचकांक पर साधा निशाना

उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों को बेअसर करने की जरूरत है और भारतीय संदर्भ में वे इसके लिए ‘प्रतिघात’ शब्द का इस्तेमाल करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन ताकतों ने सूचकांक तैयार किए हैं और ये दुनिया में हर किसी को ‘रैंक’ दे रही हैं ताकि ”हमारे देश की खराब छवि” पेश की जा सके। उन्होंने भुखमरी सूचकांक पर भी निशाना साधा, जिसकी सूची में भारत की रैंकिंग खराब है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सरकार ने जाति और पंथ की परवाह किए बिना 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया।

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