अयोध्या की यह पहली दिवाली, पीएम मोदी ने कैसे दुनिया भर में बढ़ाया सनातन का मान
अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा इसी साल 22 जनवरी को की गई। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में वहां हवन-पूजन के सारे कार्यक्रम संपन्न हुए। कई सौ साल बीत गए, सनातन परिवारों की कई पीढ़ियां निकल गईं, इस दिन को देखने की आस लिए, तब जाकर यह दिन आया। प्रभु श्रीराम टेंट से निकल कर मंदिर में विराजमान हुए। 22 जनवरी को जो कुछ अयोध्या की धरती पर हो रहा था, वह इवेंट मात्र नहीं था, वहां एक इतिहास रचा जा रहा था।
दूसरा वनवास
भारत को एक ऐसा नेतृत्व मिला है, जो देश की परंपरा, गौरव और सनातनी मूल्यों की ना सिर्फ ‘विधर्मियों’ से सुरक्षा कर रहा है, बल्कि भारत का मान पूरी दुनिया में स्थापित कर रहा है। पीएम मोदी ने भगवान राम की प्रतिमा की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करके, 140 करोड़ भारतीयों का सर सम्मान से ऊंचा किया है। इस बार दीपावली पर दीयों की रोशनी थोड़ी खास होगी। हमारे प्रभु श्रीराम का दूसरा वनवास जो पूरा हुआ है। करोड़ों सनातनियों के आराध्य को दशकों तक टेंट में रहना पड़ा। यह देश ना इस घटना को भूल सकता है और ना इसके दोषियों को। फिर उन्हें कैसे भुलाएगा, जिन्होंने हमारे भगवान राम को टेंट से निकाल कर मंदिर में प्रतिष्ठित किया।
सबके राम
राम हिंदुओं के तो भगवान हैं ही, वे पीर के, फकीर के, कबीर के, सबके हैं। इसलिए पाकिस्तान जाने से पहले अल्लामा इकबाल जब हिंदुस्तानी होने पर गर्व करते थे, उस दौर में लिखकर गए कि, ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़/ अहल-ए-नज़र समझते हैं उन को इमाम-ए-हिंद।।’ भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के ठीक 104 दिनों के बाद 5 मई को प्रधानमंत्री दोबारा रामलला के दर्शन और पूजन के लिए आए।
फूलों की बारिश
उसके बाद वह अयोध्या की जनता के बीच गए। उन्होंने करीब दो किलोमीटर का रोड शो किया। इसमें सभी जाति और वर्ग के लोग मौजूद थे। अयोध्या की सड़क पर रोड शो का रथ जैसे ही आगे बढ़ा, नारों से वातावरण गूंज उठा। हर कोई या तो ‘जय श्री राम’ का नारा लगा रहा था, या फिर ‘हर हर मोदी-घर घर मोदी’ का। उन पर फूलों की बारिश हुई। इस तरह पूरा समाज सैकड़ों सालों के स्वप्न को सच करके जमीन पर उतारने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा था।
राम की नगरी
अयोध्या में 496 सालों के बाद यह पहली दीपावली है, जब श्रीराम लला टेंट से निकल कर मंदिर में विराजमान हैं। अयोध्या तो भगवान राम की नगरी है। वह राजा हैं इस शहर के। आप जानते हैं कि अयोध्या में पहली दीपावली तब मनी थी, जब भगवान चौदह वर्षों का अपना वनवास पूरा करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लौटे थे। उस वर्ष उनके आने की खुशी में अयोध्या नगरी को दीयों से रौशन किया गया था। इतना पुराना रिश्ता है अयोध्या का दीपावली से। इस नगर से दीपावली प्रारंभ हुई और भगवान राम ने अपनी पहली दीपावली अयोध्या में ही मनाई।
विशेष उपहार
भगवान जब टेंट में चले गए फिर अयोध्या में दीपावली को लेकर अधिक उत्साह बचा नहीं था। पुरानी बात की जाए तो यहां बहुत ही सीमित दायरे में परिसर में दिवाली मनाई जाती थी और सिर्फ मंदिर के पुजारी ही विशेष सुरक्षा के बीच दीया जला पाते थे। इस बार श्रीराम का मंदिर जगमगाएगा। वैसे अयोध्यावासियों के साथ पूरे देश ने मोदी जी के आह्वान पर इस वर्ष 22 जनवरी को दीपावली मनाई थी। पीएम मोदी ने सीतामढ़ी से अयोध्या तक रेल लाइन की मंजूरी देकर इस बार की दीपावली को खास बना दिया है। माता सीता के जन्मस्थान से श्रीराम के जन्मस्थान को जोड़कर उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों को दीपावली पर विशेष उपहार दिया है।
धन्य अयोध्या
श्रीरामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है धन्य अवध जो राम बखानी। जिस अयोध्या नगरी की चर्चा करते हुए भगवान ने स्वयं उसे धन्य कहा हो, उस नगरी का वर्णन और क्या किया जाए? धन्य है, अयोध्याजी जिसके पैर मानसरोवर से निकली सरजू नदी पखारती है। इस नगरी की सुरक्षा में स्वयं जगत का संरक्षण करने वाले हनुमान जी महाराज हनुमानगढ़ी पर विराजमान हैं। साधु-संतों की नगरी अयोध्या में, साधु संतों के रखवारे हनुमान जी की पहरेदारी आठों पहर है। ऐसी पवित्र नगरी दशकों से देश की राजनीति की बंधक बनी रही। अब जाकर वह बंधन टूटा है। भगवान का दूसरा वनवास पूरा हुआ है। उनके आने की खुशी में मानो सारा अयोध्या गुनगुना रहा है, मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे, राम आएंगे।
समाज का आदर्श
मर्यादा पुरुषोत्तम की जब बात होती है तो भारतीय समाज में यह स्थान सदा से श्रीराम के लिए सुरक्षित है। राम सनातन परंपरा में सिर्फ एक अच्छे पुत्र के रूप में ही याद नहीं किए जाते, बल्कि वे एक अच्छे राजा, एक अच्छे पति, एक अच्छे भाई के रूप में भी पूर्ण हैं। हिंदू धर्म में प्रभु श्रीराम की पूजा एक ऐसे मनुष्य के रूप में की जाती है, जो समाज का आदर्श है।
तीर्थ स्थलों पर सुविधाएं
प्रधानमंत्री की समृद्ध सनातन परंपरा की आध्यात्मिक विरासत के प्रति अगाध श्रद्धा के चलते देश भर में प्रार्थना और पूजा स्थलों पर लगातार सुविधाएं बढ़ी हैं, वहां सुधार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बीते दस सालों में हमारे तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की सिर्फ संख्या नहीं बढ़ी है, बल्कि अब हम अपने पर्व और त्योहार भी विराटता के साथ मना रहे हैं।
नया विश्व रेकॉर्ड
राम लला की जन्मस्थली अयोध्या की ही बात की जाए, तो मोदी के सत्ता में आने के बाद ही वहां पूरी भव्यता के साथ दीपोत्सव का हर बार नया कीर्तिमान बन रहा है। अयोध्या ने हर बार अपने पिछले साल के रिकार्ड को तोड़ा है। इस तरह अयोध्या के पास एक साथ सबसे अधिक दीपक जलाने का वर्ल्ड रेकॉर्ड है। इस बार यह दीपोत्सव विशेष रहने वाला है।
पूरा इको-सिस्टम लापता
दीपोत्सव को लेकर अयोध्या में तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। पिछली बार का रेकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार 55 घाटों पर 28 लाख दीयों को एक साथ जलाए जाने का विश्व कीर्तिमान बनाने की तैयारी है। यह मोदी के सशक्त नेतृत्व की वजह से ही संभव हुआ है कि हिंदू त्योहारों में दशकों से सक्रिय रहने वाला विध्नसंतोषियों का पूरा इको-सिस्टम लापता है। इसीलिए राम भक्त सिर्फ कहते नहीं बल्कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ में विश्वास भी रखते हैं।- जगत गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम जी महाराज, हरिद्वार