संपादकीय

शतरंज का नया ‘आनंद’

एक बार फिर खेल की ऐतिहासिक घटना सामने है। सिर्फ 18 साल के डी. गुकेश शतरंज के विश्व चैम्पियन बने हैं। सपनों से भी ऊपर का कीर्तिमान। गौरव के आसमान में फिर भारत का नाम…। एक अतुलनीय, अकल्पनीय और अप्रत्याशित उपलब्धि…। दरअसल गुकेश ने एक साथ कई इतिहास रचे हैं। वह दुनिया के सबसे युवा ‘शतरंज चैम्पियन’ हैं। उनसे पहले 22 साल की उम्र में गैरी कास्पारोव 1985 में शतरंज के सिंहासन पर बैठे थे। भारत के जन्मजात विश्व चैम्पियन और युवा पीढ़ी के सर्वोच्च आदर्श विश्वनाथन आनंद 31 वर्ष की उम्र में विश्व चैम्पियन बने थे। वह पांच बार विश्व चैम्पियन बने और शतरंज के तत्कालीन दिग्गजों को पराजित किया। अब गुकेश ने चीन के निवर्तमान विश्व चैम्पियन डिंग लिरेन को आखिरी 14वीं बाजी की 58 चालों में पराजित किया। गुकेश पूर्व विश्व चैम्पियन और इस दौर के महानतम शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को भी 2022 में मात दे चुके हैं, लेकिन वह अब भी कार्लसन को ही सबसे बड़ा चैम्पियन मानते हैं। करीब 7 वर्ष की उम्र में गुकेश की मासूम आंखों ने चेन्नई में कार्लसन के मुकाबले ही विश्वनाथन आनंद को ‘विश्व खिताब’ हारते हुए देखा था। तब मानस में एक सपना उगा था कि यह विश्व खिताब भारत लेकर आऊंगा।

आज वह सपना साकार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय शतरंज फेडरेशन के 138 साल के इतिहास में पहली बार एशिया के दो खिलाड़ी ‘शतरंज का सिरमौर’ बनने को आमने-सामने थे, लेकिन गुकेश ने यह गौरवान्वित क्षण भारत के हिस्से में दर्ज करा दिया। इस तरह गुकेश शतरंज के मौजूदा आनंद बनकर हमारे सामने हैं। उन्होंने खेल की बारीकियां, जटिलताएं, पेचीदगियां और मन:स्थिति महान विश्व चैम्पियन आनंद से ही सीखीं, 2023 में आनंद को ही पराजित किया और आज गुकेश ‘शतरंज के विश्व चैम्पियन’ हैं। मौजूदा चैम्पियनशिप का मुकाबला लगभग बराबरी पर चलता रहा। यदि गुकेश आखिरी 14वीं बाजी में नहीं जीतते, तो मुकाबला टाई-ब्रेक में जाता। उससे भी आगे जा सकता था, लिहाजा गुकेश ने आखिरी बाजी में जोखिम उठाया। तत्कालीन विश्व चैम्पियन डिंग लिरेन पर खिताब बचाने का दबाव था। समय की अपनी सीमा भी थी। गुकेश डिंग की बिसात पर जिस ‘भारी गलती’ की उम्मीद कर रहे थे, अंतत: वही हुआ और गुकेश ने हवा में अपनी बांहें उठाते हुए जीत की घोषणा कर दी। उनके पिता डॉ. राजीवनकांत बाहर प्रतीक्षा कर रहे थे और तनावग्रस्त भी थे। तभी अचानक उनके मोबाइल पर एक खबर उभरी और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गुकेश विश्व चैम्पियन बन चुके थे। गुकेश के लिए 2024 बेशकीमती वर्ष रहा है। इसी साल वह अप्रैल में ‘कैंडिडेट टूर्नामेंट’ के विजेता बने, लिहाजा विश्व चैम्पियनशिप के लिए ‘चैलेंजर’ की पात्रता हासिल की। इसी साल सितंबर में ‘शतरंज ओलिंपियाड’ में भारत की पुरुष और महिला टीमें चैम्पियन बनीं। गुकेश ने पुरुष टीम का हिस्सा रहते हुए ‘दोहरे स्वर्ण पदक’ हासिल किए। जो सफर 7 साल की उम्र में आरंभ हुआ था, आज वह ‘सफरनामा’ बन चुका है और गुकेश शतरंज का नया अध्याय और इतिहास बन चुके हैं। हालांकि शतरंज भारत का लोकप्रिय खेल नहीं है। शतरंज के 85 ग्रैंडमास्टर्स में से 31 खिलाड़ी तमिलनाडु के हैं। इनमें से भी करीब 24 ग्रैंडमास्टर्स अकेले चेन्नई ने दिए हैं। शतरंज के इतिहास में गुकेश तीसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं, जो 2750 की रेटिंग तक पहुंचे हैं। सबसे युवा ‘कैंडिडेट विजेता’ भी हैं। एशियाड के रजत पदक विजेता हंै। अब वह प्रेरणा स्रोत बनेंगे।

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