वैज्ञानिकों ने उठाया रहस्य से पर्दा, कोरोना में इतनी ज्यादा मौतों का जिम्मेदार वायरस नहीं यह खतरनाक चीज
PM 2.5 Increase Risk of Corona Death: कोरोना की कहर ने विश्व में 70 लाख से ज्यादा लोगों को मौत के मुंह में समा दिया. मृत्यु दर इतनी तीव्र थी कि वैज्ञानिक भी नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर हो क्या रहा है. पर अब एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना के समय में इतनी तेज मृत्यु दर का कारण वायुमंडल में घुल रहे प्रदूषण जिम्मेदार था. स्टडी में कहा गया कि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 के कारण कोरोना के वायरस का प्रसार तेजी से हुआ और इस कारण ज्यादा लोगों की जानें गईं. यह अध्ययन ताइवान की नेशनल यांग मिंग चियाओ तुंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है, जिन्होंने पाया कि पीएम 2.5 ने SARS-CoV-2 के संचरण को प्रभावित किया और इस वायरस से होने वाली बीमारी की गंभीरता को भी बढ़ाया.
पीएम 2.5 सबसे बड़ा विलेन
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 2.5 से ज्यादा प्रदूषकों ने कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर को बढ़ाया. पीएम 2.5 का मतलब होता है वायु में 2.5 एमएम से कम वाले छोटे कण जो वायु में घुलकर सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. यह विशेष रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करते हैं. ताइवान के शोध में यह पाया गया कि जब पीएम 2.5 की मात्रा को बढ़ाया गया तो चूहों में खास प्रोटीन ACE2 उत्प्रेरित हो जाता है जो संक्रमण की दर को तेजी से बढ़ा देता है. इससे यह संकेत मिलता है कि पीएम 2.5 ना केवल वायरस के प्रसार को बढ़ाता है, बल्कि यह बीमारी की गंभीरता को भी प्रभावित करता है, जिससे संक्रमण का प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है. शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने चूहों पर किए गए प्रयोगों के माध्यम से यह देखा कि पीएम 2.5 के संपर्क में आने से श्वसन प्रणाली में एसीई2 प्रोटीन तेजी से उत्प्रेरित हो जाती है जिससे वायरस के संक्रमण में वृद्धि हो जाती. इसके परिणामस्वरूप चूहों के फेफड़ों में एसीई और एसीई2 प्रोटीन की मात्रा में भी वृद्धि हुई और इस कारण सार्स-सीओवी-2 के प्रभाव में और भी वृद्धि देखी गई.
वायु प्रदूषण पर कड़े कदम उठाने की जरूरत
शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष को एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जो यह साबित करता है कि पीएम 2.5 के संपर्क में आने से एसीई-2 प्रोटीन की अभिव्यक्ति बढ़ती है और इससे कोविड-19 संक्रमण के प्रसार और गंभीरता में वृद्धि होती है. यह परिणाम पर्यावरणीय प्रदूषण और कोविड-19 के बीच एक मजबूत संबंध को रेखांकित करते हैं.इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में यह भी सामने आया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 के बीच एक गहरा संबंध है. स्पेन के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषण न केवल कोविड-19 के संक्रमण की गंभीरता को बढ़ाता है, बल्कि यह लंबे समय तक रहने वाले कोविड लक्षणों को भी प्रभावित कर सकता है. अध्ययन में कहा गया कि पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कोविड-19 के खतरे में वृद्धि हो सकती है. हालांकि वायु प्रदूषण को सीधे तौर पर लंबे समय तक कोविड के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन यह शुरुआती संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा सकता है, जो अंततः लंबे समय तक कोविड के जोखिम को बढ़ा देता है. यह शोध वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण और कोविड-19 के बीच एक नए प्रकार के संबंध की ओर इशारा करता है. इन निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पीएम 2.5, कोविड-19 के प्रसार और गंभीरता को बढ़ावा देता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि सरकारें और स्वास्थ्य संगठन वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए कड़े उपायों को अपनाएं ताकि भविष्य में कोविड-19 जैसी महामारी की गंभीरता को कम किया जा सके और इस तरह के पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को रोका जा सके.