राज्यसभा में 500 के नोट…,
संसद में यह क्या हो रहा है? हमें 2008 का वह दौर याद आता है, जब भारत-अमरीका परमाणु करार के कारण वामदलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई थी, लिहाजा नए सिरे से विश्वास-मत हासिल करना था। तभी एक दिन लंच के बाद लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई थी कि भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक बैग खोला और नोटों की गड्डियां बिखेर दीं। सदन एकदम स्तब्ध हो गया। हम प्रेस-दीर्घा में बैठे हैरान हो गए, क्योंकि उससे पहले कभी भी ऐसी घटना नहीं देखी थी। भाजपा के तीन सांसदों ने आरोप लगाए थे कि सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उन्हें एक करोड़ रुपए की घूस दी गई है। किसने वह घूस दी? उस खेल का रणनीतिकार कौन था? घूस की बात किसने की और नकदी किसने दिया? बेशक ऐसे सवाल आज प्रासंगिक नहीं हैं, लेकिन तब सपा नेता अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल सहित कुछ नाम उछले थे। बहरहाल सपा के तत्कालीन 39 सांसदों और अन्य छोटे दलों के सांसदों के समर्थन से मनमोहन सरकार ने विश्वास मत तो हासिल कर लिया था, लेकिन कथित नकदी घूसकांड के सूत्रधारों का क्या हुआ, उन्हें अदालत ने क्या दंड दिया, वह आज तक स्पष्ट नहीं है। मुख्य आरोपित सांसद दिवंगत हो चुके हैं। आज संसद में उस कांड की न तो किसी को चिंता है और न ही वह प्रासंगिक है। वह संदर्भ दोबारा ताजा होकर सामने है, क्योंकि राज्यसभा में सीट 222 पर 500 रुपए के नोट की गड्डी मिली है।
यह सीट कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। उन्होंने साफ किया है कि इस गड्डी का उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वह तो सिर्फ 500 रुपए का एक नोट जेब में रखकर सदन आते हैं और उस दिन वह मात्र तीन मिनट के लिए ही संसद में आए थे। चूंकि नोटों की यह गड्डी सुरक्षा कर्मियों की नियमित, रोजाना जांच के दौरान मिली थी, लिहाजा सभापति एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन को खुलासा किया। यह जानकारी देने को वह बाध्य भी थे। नोट असली थे या नकली थे अथवा उन पर कोई रसायन लगाया गया था, ये स्पष्टीकरण संपूर्ण जांच के बाद ही सार्वजनिक हो सकते हैं। अलबत्ता उचित, नियमानुसार जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। सवाल यह है कि वे 50,000 रुपए सदन के भीतर कहां से आए? संसद परिसर में बैंक शाखा भी है और सांसद, संसदकर्मी वहां जाकर लेन-देन करते रहे हैं। सांसद कितनी नकद राशि लेकर सदन के भीतर जा सकते हैं, इस पर कोई तय नियम-कानून नहीं है। कोई भी सांसद कितनी भी करेंसी अपने साथ लेकर सदन में प्रवेश कर सकता है। बहरहाल 500 रुपए वाले प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच हो रही है। सदन में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को निकाला जा रहा है। उनसे यह स्पष्ट हो सकेगा कि नोटों की गड्डी राज्यसभा में किस तरह आई? इस मुद्दे पर सदन के भीतर सियासी उबाल की स्थिति है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।