संपादकीय

‘सड़क दुर्घटनाओं से बचाव,’ ‘जन सहयोग और जागरूकता जरूरी’

विश्व में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं और इसी कारण इसे ‘सड़क दुर्घटनाओं की राजधानी’ भी कहा जाने लगा है। इसी पृष्ठïभूमि में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गत दिवस संसद में कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भारत का रिकार्ड सबसे गंदा है जिस कारण उन्हें विश्व सम्मेलनों में अपना मुंह छिपाना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक समाज का सहयोग नहीं मिलेगा, लोगों का व्यवहार नहीं बदलेगा और लोगों को कानून का डर नहीं होगा, तब तक सड़क दुर्घटनाओं और इनसे होने वाली मौतों पर अंकुश नहीं लगेगा। लोग ट्रैफिक सिग्नलों का पालन भी नहीं करते और दोपहिया चालक हैलमेट नहीं लगाते।’’ नितिन गडकरी ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष 1.78 लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप हो जाती है जिनमें लगभग 60 प्रतिशत मृतक 18 से 34 वर्ष की आयु के बीच होते हैं। 

उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि जब उन्होंने 2014 में पहली बार मंत्रालय संभाला तब उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को 50 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य तय किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मैं इसमें विफल रहा तथा इनमें और वृद्धि हुई है। इतनी संख्या में तो लोग न लड़ाई में मरते हैं, न कोविड में मरे हैं और न ही दंगे में मरते हैं। ‘‘जनसंख्या के लिहाज से वाहनों की संख्या में 1 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले भारत में सड़क दुर्घटनाओं से मौतों के वैश्विक आंकड़ों में 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इन मौतों का बड़ा कारण सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को समय पर उपचार न मिलना है। इसे देखते हुए वर्ष 2019 में मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करके सड़क दुर्घटनाओं के घायलों के लिए कैशलैस इलाज को कानूनी मान्यता प्रदान की गई थी।’’ 

नितिन गडकरी ने अपने साथ हुई एक सड़क दुर्घटना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘प्रभु की कृपा से मैं और मेरा परिवार बच गया इसलिए मुझे सड़क दुर्घटनाओं का निजी अनुभव है। सड़कों के किनारे बेतरतीब ढंग से खड़े ट्रक और ‘लेन डिसिप्लिन’ का अभाव भी सड़क दुर्घटनाओं के अनेक मुख्य कारणों में से एक है।’’सड़क दुर्घटनाओं के मामले में नितिन गडकरी की उक्त सही बातों के अलावा हम यह कहना चाहेंगे कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारे देश में वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो गई है। अक्सर देखने में आता है कि 50 प्रतिशत से अधिक कारों में तो 1 या 2 व्यक्ति ही यात्रा करते दिखाई देते हैं परंतु कार खरीदने में असमर्थ लोग आने-जाने के लिए मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल करते हैं और बड़ी संख्या में मोटरसाइकिलों पर 3 और उससे भी अधिक 4-5 लोग यात्रा करते दिखाई देते हैं।

अधिकतर मोटरसाइकिल चालक तथा पीछे बैठे बच्चे और महिलाएं तथा चालक हैलमेट और ऐनक का इस्तेमाल नहीं करते जो दुर्घटना की स्थिति में मौत का कारण बनता है। जल्दी पहुंचने की चाह में वाहन तेज चलाने के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं। अत: जब तक सड़क सुरक्षा नियमों का कठोरतापूर्वक पालन नहीं किया जाएगा तब तक इस प्रकार की दुर्घटनाएं होती ही रहेंगी और अनमोल प्राण जाते ही रहेंगे। देश में 2022 में हुई 1,68,491 सड़क दुर्घटनाओं में से 71 प्रतिशत मौतें ओवर स्पीडिंग,  5.4 प्रतिशत गलत साइड में ड्राइविंग, 2.5 प्रतिशत नशे में गाड़ी चलाने तथा 2 प्रतिशत मौतें मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए ड्राइविंग करने के परिणामस्वरूप हुईं। 

सड़क दुर्घटनाओं का एक कारण वाहन चालकों द्वारा पूरी नींद न लेना भी है। सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 40 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं का कारण वाहन चलाते समय चालक को नींद आना है। इसी को देखते हुए आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिले की पुलिस ने रात के समय वाहन चालकों की अनिद्रा के कारण सड़क दुर्घटनाएं टालने के लिए  ‘वाश फेस एंड गो’ (मुंह धोकर आगे बढ़ो) नामक अभियान शुरू किया है, ताकि नींद की झपकी सड़क दुर्घटनाओं का कारण न बने। अन्य स्थानों पर भी इस प्रकार का प्रबंध किया जाना चाहिए।

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