संपादकीय

महाराष्ट्र में BJP की सबसे बड़ी जीत का संदेश

दो राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों ने एक बार फिर राजनीति के जानकारों को चौंका दिया। महाराष्ट्र में इतनी बड़ी जीत की उम्मीद शायद BJP समेत महायुति के समर्थकों को भी नहीं होगी। वहीं, झारखंड में पार्टी को सत्ता में वापसी की आस थी, लेकिन वह अधूरी ही रह गई। खैर, इन नतीजों का असर देश की सियासत पर पड़ना तय है।

नाराजगी नहीं

सीटों की संख्या के लिहाज से यूपी के बाद दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सभी का ध्यान खींचा था। लेकिन विधानसभा की लड़ाई बिल्कुल अलग रही। एकतरफा जीत बताती है कि महायुति की शिंदे सरकार से जनता नाराज नहीं थी। वहीं, अगर कोई असंतोष रहा भी हो, तो सरकार ने उसे सही समय पर दूर कर लिया।

महिलाओं का साथ

दोनों ही राज्यों में मौजूदा सरकारों ने महिलाओं को लुभाने के लिए योजनाओं का ऐलान किया। महाराष्ट्र में लाड़की बहीण (लाड़ली बहना) योजना को गेमचेंजर माना जा रहा है, जिसने महिलाओं को महायुति के पाले में ला खड़ा किया। महाविकास आघाड़ी के उठाए मुद्दे बेअसर रहे। इसी तरह, झारखंड में हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना के जरिये महिला वोटर्स को साधा।

मुफ्त की योजनाओं का असर

इन चुनावों में पार्टियों द्वारा की जा रही मुफ्त योजनाओं की घोषणा खूब चर्चा में रही। इसकी आलोचना भी हुई। लेकिन, परिणामों से जाहिर है कि इसका असर हुआ है। शिंदे और सोरेन सरकार, दोनों ने बुजुर्गों, युवाओं, किसानों के लिए कई वादे किए। जनता के बीच यह बात भी फैली कि अगर सरकार बदलती है तो योजनाएं बंद हो जाएंगी।

हिंदुत्व का जोर

यह चुनाव ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ जैसे नारों के लिए याद रखा जाएगा। BJP ने हिंदुत्व की आक्रामक राह पकड़ी और हिंदू समाज को एकजुट कर लिया। लेकिन, यही बात मुस्लिमों को लेकर कांग्रेस नहीं कह सकती। हालांकि, झारखंड में BJP का यह कार्ड नहीं चला। वहां पार्टी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया था, जो कारगर नहीं रहा। आदिवासी समाज ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ दिया। इसके पीछे हेमंत के साथ सहानुभूति फैक्टर रहा।

कांग्रेस के लिए मुश्किलें

लोकसभा चुनावों का अच्छा प्रदर्शन अब बहुत पुरानी बात लग रही है। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में मिली बड़ी हार ने I.N.D.I.A. के भीतर कांग्रेस की स्थिति कमजोर कर दी है। झारखंड में अलायंस को भले जीत मिली, लेकिन उसमें कांग्रेस का बहुत बड़ा रोल नहीं कहा जा सकता। इसका असर आने वाले चुनावों पर पड़ेगा, जहां कांग्रेस को सीटों के लिए सहयोगियों के साथ ज्यादा कड़ी सौदेबाजी करनी पड़ सकती है।

अजेंडे पर BJP

पार्टी और केंद्र सरकार, दोनों के पास यह कहने का मौका है कि जनता ने उनके ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ और ‘समान नागरिक संहिता’ जैसे अजेंडे को स्वीकार किया है। हालांकि, महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर महायुति में खींचतान हो सकती है। BJP ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य में सबसे अधिक सीटें हासिल की हैं तो चुनाव एकनाथ शिंदे सरकार की अगुआई में लड़ा गया। देखना होगा कि इस मामले में महायुति में क्या फॉर्म्युला निकलता है।

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