अंतर्राष्ट्रीय

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर झूठ बोल कर बुरे फंसे मार्क जुकरबर्ग, भारत  एक्शन मूड में

International Desk: सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा के सीईओ (Meta CEO) मार्क जुकरबर्ग ( Mark Zuckerberg) को 2024 के भारतीय आम चुनावों ( India Election 2024) पर दिए गए बयान के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। संसदीय समिति जल्द ही मेटा को समन भेजने की तैयारी कर रही है। जुकरबर्ग ने अपने बयान में दावा किया था कि कोविड-19 के बाद 2024 में हुए चुनावों में भारत समेत कई देशों की मौजूदा सरकारें गिर गईं।  संसद की संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।

उन्होंने कहा कि ऐसी गलत जानकारी भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की छवि को धूमिल करती है। दुबे ने मेटा से इस बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने लिखा,  “भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के बारे में गलत जानकारी देना उसकी छवि को खराब करता है। मेटा को संसद और भारतीय जनता से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।” 10 जनवरी को एक पॉडकास्ट में फेसबुक के सह-संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने 2024 के चुनावों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कोविड महामारी के बाद लोगों का मौजूदा सरकारों पर भरोसा कम हो गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए भारत का भी उल्लेख किया। जुकरबर्ग ने कहा,   “2024 में पूरी दुनिया में एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत कई देशों में चुनाव हुए, और लगभग हर जगह मौजूदा सरकारें हार गईं। कोविड, महंगाई और आर्थिक संकट जैसे मुद्दों के कारण सरकारों पर लोगों का विश्वास कम हुआ।”   

मार्क जुकरबर्ग के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,  “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत ने 2024 के चुनावों में 640 मिलियन से अधिक मतदाताओं की भागीदारी देखी। भारतीय जनता ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए पर अपना भरोसा दोहराया। जुकरबर्ग का यह दावा कि भारत सहित अधिकांश सरकारें कोविड के बाद चुनाव हार गईं, पूरी तरह तथ्यात्मक रूप से गलत है। “कोविड के दौरान भारत ने 800 मिलियन लोगों को मुफ्त राशन, 2.2 बिलियन मुफ्त टीके और वैश्विक स्तर पर मदद पहुंचाई। भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पीएम मोदी की तीसरी बार निर्णायक जीत सुशासन और जनता के विश्वास का प्रतीक है।”   मार्क जुकरबर्ग के बयान को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। मेटा को अब संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। गलत सूचना के गंभीर प्रभाव को देखते हुए इस मामले ने वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है।   

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