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काफी रोचक है साधु-संतों की शब्दवाली, मिर्च को लंका तो नमक को कहते हैं रामरस

गोपालगंज. साधु-संतों की शब्दावली आम लोगों की शब्दावली से काफी अलग होती है. हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली अधिकतर वस्तुओं के नाम यहां अलग- तरीके से रखे गए हैं. कुछ तो शब्द ऐसे हैं, जिन्हें सुनकर आप हंस पड़ेंगे. ये शब्दावली काफी रोचक भी होती है. जब आप साधु-संतो के बीच होंगे, ऐसे शब्द या वाक्य सुनने को अक्सर मिल जाएंगे कि लंका की चटनी बनेगी,  सब्जी में रामरस मिलाया जाएगा और दाल में रंग बदल डाला जाएगा या महाप्रसाद के साथ भंडारा जताया जाएगा.

इन बातों को समझने में दिक्कत हो, तो इस खबर के जरिए विस्तार से समझ सकते हैं. साधु-संतों की इस रोचक शब्दाली को जानने के लिए लोकेल-18 की टीम कुचायकोट प्रखंड के सेमरा बाजार में स्थित अतिप्राचीन राम जानकी मठ में पहुंची और साधु-संतों से शब्दावली की जानकारी ली. इस दौरान काफी रोचक बातें सामने आई.

रसोईघर के सभी सामग्रियों के नाम अजीबोगरीब

साधु-संत रसोई में प्रयोग होने वाले सभी चीजों को अलग नाम से पुकारते हैं. यहां मिर्चा को लंका कहा जाता है. हल्दी को रंग बदल के नाम से पुकारा जाता है.जबकि नमक को रामरस, भात को महाप्रसाद तथा रोटी को टिकर कहते हैं. यहां भोजन को भंडारा कहा जाता है और खाना बनाने को भंडारा चेतना कहा जाता है. इसके अलावा भोजन करने को प्रसाद पाना कहा जाता है.

राम नाम से जुड़े होते हैं अधिकतर शब्द

साधु-संतों की शब्दावली में अधिकतर शब्द राम नाम से जुड़े हुए होते हैं. राम जानकी मठ सेमरा के महंथ अवधबिहारी दास बताते हैं कि मिर्च कड़वा होता है, इसलिए इसे लंका कहा जाता है. कुछ साधु-संत  राम झनाका भी कहते हैं. नमक को रामरस कहा जाता है. ऐसे ही कई शब्द हैं, जिनके नाम राम और अध्यात्म से जुड़े हुए रखे गए हैं.

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