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ISRO,अंतरिक्ष में बीज उगाने की तैयारी…

नई दिल्ली: भारतीय स्पेस एजेंसी यानी इसरो का PSLV रॉकेट साल के अंत में कई नए प्रयोग लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। इसके चौथे चरण ‘POEM-4’ में अंतरिक्ष में बीज उगाने, कचरा पकड़ने वाले रोबोटिक हाथ और नए प्रोपल्शन सिस्टम का परीक्षण होगा। साथ ही, ‘पीएसएलवी-सी60’ मिशन भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के लिए जरूरी ‘डॉकिंग’ तकनीक दिखाने के लिए ‘चेजर और टारगेट’ नाम के दो सैटेलाइट भी ले जाएगा। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा कदम होगा।

नई टेक्नोलॉजी को परखने का मौका

पीओईएम यानी PSLV कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल कुल 24 प्रयोग करेगा। इनमें 14 प्रयोग इसरो की अलग-अलग प्रयोगशालाओं से हैं, जबकि 10 प्रयोग निजी विश्वविद्यालयों और स्टार्ट-अप्स के हैं। यह अंतरिक्ष में नई तकनीकों को परखने का एक बड़ा मौका होगा।

अंतरिक्ष में बीज उगाएगा इसरो

इसरो अंतरिक्ष में बीज कैसे उगते हैं, यह जानने के लिए भी प्रयोग करेगा। ‘क्रॉप्स’ नाम के एक विशेष बॉक्स में लोबिया के आठ बीज उगाए जाएंगे। इस बॉक्स में तापमान कंट्रोल रहेगा ताकि बीजों को सही माहौल मिल सके। यह प्रयोग विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) ने तैयार किया है। इस प्रयोग से अंतरिक्ष में भोजन उगाने की संभावनाओं के बारे में पता चलेगा।

अंतरिक्ष के कचरे को साफ करने का प्रोजेक्ट

मुंबई के एमिटी विश्वविद्यालय का भी एक प्रयोग इस मिशन का हिस्सा है। ‘APEMS’ नाम के इस प्रयोग में कम गुरुत्वाकर्षण में पालक के पौधे कैसे बढ़ते हैं, इसका अध्ययन किया जाएगा। कचरा साफ़ करने के लिए भी एक रोबोटिक हाथ का परीक्षण होगा। VSSC द्वारा विकसित ‘डेब्रिस कैप्चर रोबोटिक मैनिपुलेटर’ अंतरिक्ष के कचरे को पकड़कर उसे हटाने का काम करेगा। यह प्रयोग अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की समस्या से निपटने में मदद कर सकता है।

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