क्या टेक्नोलॉजी सेक्टर को रफ्तार देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए काफी हैं?
अंतरिम बजट में टेक्नोलॉजी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक 1 लाख करोड़ रुपए का कॉर्पस तैयार करने की घोषणा की गई थी. इसके जरिए डीप-टेक वेंचर्स को फाइनेंस किया जाएगा. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि इतने आवंटन के साथ क्या भारत दुनियाभर के टेक सेक्टर में जारी रफ्तार की बराबरी कर पाएगा?
डीप-टेक को सरकारी सपोर्ट की जरूरत क्यों?
डीप-टेक में ऐसे सेक्टर्स शामिल हैं, जो इंजीनियरिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और इनोवेशन से काफी हद तक प्रेरित हैं. इस सेक्टर में उन टेक्नोलॉजीज को शामिल किया गया है, जो अभी तक मेनस्ट्रीम का हिस्सा नहीं हैं. इस तरह के इनोवेशन के लिए बड़े पैमाने पर फंड्स की जरूरत पड़ती है, क्योंकि मार्केट में आने से पहले डीप-टेक के विकास का एक लंबा फेज होता है. ये टेक्नोलॉजीज देश के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हैं. इस दौरान ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाएं अन्य देशों पर निर्भर न रहने के लिए भारी निवेश करती हैं. यहां वेंचर कैपिटल इंवेस्टमेंट्स का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, इसलिए फॉउंडेशनल और फंडामेंटल डीप-टेक इंडस्ट्रीज को विकसित करने के लिए सरकारी सपोर्ट होना जरूरी है.
किन सेक्टर्स को हो सकता है फायदा?
इस कदम से जिन भी सेक्टर्स को फायदा मिलने की संभावना है, उनमें सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग सहित एविएशन, क्लाइमेट-टेक, मोबिलिटी, बायोटिक्स और अंतरिक्ष शामिल हैं. इस फंड का लक्ष्य भारत की ‘स्टार्टअप अर्थव्यवस्था’ है, क्योंकि घरेलू वेंचर कैपिटलिस्ट बड़े पैमाने पर शुरुआती चरण की फंडिंग की पेशकश करते हैं जो छोटे टिकट आकार में उपलब्ध कराई जाती है. बजट के बाद केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जिससे पहले कि अन्य डीप-टेक सेक्टर्स को फंड्स तक पहुंच प्राप्त ही, केंद्र शुरुआत में कुछ स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स पर फोकस करेगा. हालांकि, केंद्र ने अभी तक प्राथमिक सेक्टर्स निर्धारित नहीं किए हैं.
भारतीय फंड कितना बड़ा?
भारत का फंड 1 ट्रिलियन रुपए (लगभग 12 बिलियन डॉलर) है. दुनिया के अन्य देशो की बात करें तो, नवंबर में यूरोपीय इनोवेशन काउंसिल ने बताया कि पिछले साल उसने डीप-टेक वेंचर्स को 1 बिलियन यूरो (लगभग 19,000 करोड़ रुपए) की पेशकश की थी. डीप-टेक फंड के बिना भी अमेरिका आगे है. गोल्डमैन सैक्स ने 2019 तक फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट खर्च सालाना 120 बिलियन डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान लगाया है. चीन के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि अकेले 2022 में डीप-टेक वेंचर्स के लिए 273 बिलियन डॉलर की भारी फंडिंग होने की उम्मीद है.
क्या ये फंड पर्याप्त है?
इंडस्ट्री के दिग्गजों का मानना है कि यह फंड काफी बड़ा है और यह फंडामेंटल AI मॉडल, सेमीकंडक्टर डिजाइन, क्वांटम कम्युनिकेशन, सिक्योरिटी और स्पेस सोल्यूशंस के विकास को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है. हालांकि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि फंड को कैसे एक्सेसिबल बनाया जाता है. डीप-टेक स्टार्टअप को आगे बढ़ने में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है, इसलिए यहां केंद्र पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज के माध्यम से ग्राहक बनने में मदद कर सकता है.