पेंटिंग है या हीरे का हार! कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान,
क्या आपने कोई ऐसी पेंटिंग देखी है जिसके अंदर रंग फूल और पत्तियों से भरे गए हों, जिसे पांच फीट लंबे कागज पर बनाया गया हो और जिस पेंटिंग को हाथों से बनाने में 6 महीने का वक्त लगा हो. इस खास पेंटिंग को दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में लेकर पहुंचे हैं बिहार के मधुबनी मिथिला के विजय कुमार झा.
6 महीने में तैयार हुई पेंटिंग
इस पेंटिंग को यूं तो शांति देवी ने बनाया है जोकि 70 वर्षीय हैं. इनको राष्ट्रपति मेधा पुरस्कार के साथ ही अहिल्यादेवी पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने 6 महीने की मेहनत के बाद इस पेंटिंग को तैयार किया है. इस पेंटिंग की क्या है खासियत यही जानने के लिए जब लोकल18 ने विजय कुमार झा से बात की तो उन्होंने बताया कि यह पेंटिंग मिथिला लोक चित्रकला के नाम से दुनियाभर में मशहूर है. शांति देवी को इटली में भी उनके इस हुनर के लिए पुरस्कार मिल चुका है.
भगवान विष्णु के 10 अवतारों की है पेंटिंग
विजय कुमार झा ने बताया कि इस पेंटिंग को कागज पर बनाया गया है. गोबर से इस पर लेप लगाया गया है. यह पेंटिंग भगवान विष्णु के 10 अवतारों पर आधारित है. इसमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों को बनाया गया है. पेंटिंग धार्मिक रूप से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हमेशा से ही रही है और इस व्यापार मेले में भी लोग आकर इसे देख रहे हैं. उन्होंने बताया कि मिथिला लोक चित्रकला रामायण काल में भी मशहूर थी और रामायण के वक्त से पहले से इसे बनाया जा रहा है. आजकल लोग इसे मधुबनी पेंटिंग कहने लगे हैं, लेकिन यह मधुबनी पेंटिंग नहीं है बल्कि यह मिथिला लोक चित्रकला है. उनके पास हजार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए की पेंटिंग मौजूद है.
हाथों से होता है पूरा काम
उन्होंने बताया कि मिथिला लोक चित्रकला में पूरा काम हाथों से होता है. हाथों से बनी इन पेंटिंग को किसी भी तरह की मशीन से तैयार नहीं किया जाता है. बावजूद इसके इन पेंटिंग की खूबसूरती मशीनों से बनाई गई पेंटिंग से लाख गुना ज्यादा होती है, इसलिए इन पेंटिंग को पूरी दुनियाभर में लोग काफी पसंद करते हैं. देश के कोने-कोने तक यह पेंटिंग मिथिला से भेजी जाती है.