विकसित बनने के लिए भारत को उठाने होंगे बड़े कदम… आईएमएफ ने किया आगाह
नई दिल्ली: भारत ने 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने का टारगेट रखा है। हालांकि, इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए बहुत से गंभीर ढांचागत सुधार करने होंगे। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एशिया और प्रशांत विभाग (APD) के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने एक इंटरव्यू में यह बात कही। आईएमएफ ने अपने रीजनल इकनॉमिक आउटलुक में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। श्रीनिवासन ने कहा है कि इस रफ्तार के साथ बढ़कर भारत के लिए 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य मुश्किल होगा।
श्रीनिवासन ने बताया कि आईएमएफ ने भारत के विकास अनुमान को जस का तस रखा है। हालांकि, कुछ घरेलू अर्थशास्त्रियों ने अपने अनुमानों को घटाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद की मांग कम होने और आधार प्रभाव के कमजोर होने के कारण कुछ संकेतकों में नरमी आने की आशंका थी। इसके साथ ही, अपेक्षाकृत स्थिर मानसून के मद्देनजर ग्रामीण मांग में मजबूती आने की उम्मीद है। लिहाजा, IMF का अनुमान है कि GDP विकास दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8.2% से कम होकर 2024-25 में 7% हो जाएगी। फिर 2025-26 में यह 6.5% की संभावित विकास दर पर वापस आ जाएगी।
बहुत तेजी से बदल रही हैं चीजें
श्रीनिवासन ने यह भी कहा कि इस आउटलुक में जोखिम भी हैं। मांग उम्मीद से कमजोर हो सकती है। बाहरी झटके भी लग सकते हैं। मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। चीजें बहुत तेजी से बदल रही हैं। उनके मुताबिक, इस क्षेत्र के देश युद्ध से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वे अभी युद्ध के केंद्र में हैं।
श्रीनिवासन ने कहा, भारत पर इसके प्रभाव के बारे में अब तक हमने जो देखा है वह यह है कि कुछ व्यापार व्यवधान हो सकते हैं जो कि 2022 की तरह नहीं हैं। तेल और कमोडिटी की कीमतों पर इसका प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा है। कुल मिलाकर, तेल की कीमतों में 10% की बढ़ोतरी से ग्लोबल जीडीपी में 0.15% की गिरावट आती है। महंगाई दर में 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी होती है।
मौजूदा ग्रोथ विकसित बनने के लिए काफी नहीं
यह पूछे जाने पर कि क्या अगले कुछ वर्षों में इस विकास दर से भारत वास्तव में अपने 2047 के लक्ष्य को पूरा कर पाएगा, श्रीनिवासन ने कहा कि 6.5% की विकास दर उस टारगेट को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। उस आकांक्षा को पूरा करने के लिए बहुत से गंभीर ढांचागत सुधार करने होंगे।
क्या करने की जरूरत?
श्रीनिवासन बोले, छोटी अवधि में श्रम बाजारों को और अधिक लचीला बनाने के लिए श्रम संहिताओं को लागू करना होगा। दूसरा, अगर भारत सर्विस सप्लाई चेन को बेहतर ढंग से एकीकृत करना चाहता है तो उसे बहुत सारे व्यापार प्रतिबंधों को कम करने की जरूरत है। पिछले 10 वर्षों या उससे अधिक समय में भारत में औसत टैरिफ बढ़ा है। व्यापार प्रतिबंधों को दूर करने पर काम करने की जरूरत है। तीसरी बात यह है कि भौतिक और डिजिटल दोनों तरह के बुनियादी ढांचे पर फोकस करना जारी रखना है।
श्रीनिवासन को लगता है कि ये तीन चीजें हैं जो छोटी अवधि के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इससे आगे बढ़कर अधिक से अधिक संभावित विकास के लिए भारत को शिक्षा और कौशल को मजबूत करने, भूमि और कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने, सामाजिक सुरक्षा जाल को मजबूत करने और लालफीताशाही को कम करने में बहुत सारे सुधार करने होंगे। श्रीनिवासन के अनुसार, अगर आप बहुत तेज रफ्तार से विकास करना चाहते हैं, तो उस स्तर तक पहुंचने के लिए जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, आपको 8% – 8.5% से ऊपर की जरूरत है।
भारत में टैरिफ में वृद्धि पर उनके विचार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह कई मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है। इससे टैरिफ कम हो गया है। सस्ते माल की आमद को एक गंभीर चिंता के रूप में देखा जा रहा है।