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 धरती के ग्लेशियरों पर नजर रखेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त सैटेलाइट NISAR, जल्द हो सकती है लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मिलकर बनाई गई सैटेलाइट निसार (NISAR- NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) लॉन्चिंग के लिए तैयार है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया जाएगा। इस सैटेलाइट की मदद से इसरो और नासा धरती पर पर्यावरण के लिए अहम वेटलैंड, ज्वालामुखी में आए बदलाव और जमीन और समुद्र की बर्फ में आए बदलावों का अध्ययन करेगी। निसार सैटेलाइट ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने की भी निगरानी करेगी। 

ISRO: धरती के ग्लेशियरों पर नजर रखेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त सैटेलाइट NISAR, जल्द हो सकती है लॉन्चिंग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 11 Jan 2024 12:22 PM IST

सार

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नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने बयान में कहा कि ‘इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं।’ 
 

Isro nasa joint satellite nisar monitor glaciers wetland on earth ice sheet volcanos launching date soon

nasa, isro, nasa isro, nasa and isro – फोटो : सोशल मीडिया

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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मिलकर बनाई गई सैटेलाइट निसार (NISAR- NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) लॉन्चिंग के लिए तैयार है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया जाएगा। इस सैटेलाइट की मदद से इसरो और नासा धरती पर पर्यावरण के लिए अहम वेटलैंड, ज्वालामुखी में आए बदलाव और जमीन और समुद्र की बर्फ में आए बदलावों का अध्ययन करेगी। निसार सैटेलाइट ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने की भी निगरानी करेगी। 

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धरती पर जमी बर्फ के क्षेत्र को समझने में मदद करेगा निसार सैटेलाइट
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं। साथ ही इस उपग्रह की मदद से कृषि मानचित्रण और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जा सकेगी। नासा के बयान के अनुसार, NISAR की मदद से धरती पर बर्फ से जमे क्षेत्र में आए बदलाव का सबसे विस्तृत डाटा मिल सकेगा। जिसे क्रायोस्फीयर कहा जाता है। 

ग्लेशियरों के पिघलने की दर समझने में मिलेगी मदद
नासा में ग्लेशियरों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक एलेक्स गार्डनर ने बताया कि हमारी धरती पर मौजूद बर्फ तेजी से पिघल रही है और हमें इसके पिघलने की प्रक्रिया को समझने की जरूरत है, जिसमें NISAR सैटेलाइट मदद करेगी। निसार को इस साल लॉन्च किया जाना है और इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। यह सैटेलाइट पूरी पृथ्वी की जमीन और बर्फ के क्षेत्र का हर 12 दि

ISRO: धरती के ग्लेशियरों पर नजर रखेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त सैटेलाइट NISAR, जल्द हो सकती है लॉन्चिंग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 11 Jan 2024 12:22 PM IST

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नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने बयान में कहा कि ‘इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं।’ 
 

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धरती पर जमी बर्फ के क्षेत्र को समझने में मदद करेगा निसार सैटेलाइट
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं। साथ ही इस उपग्रह की मदद से कृषि मानचित्रण और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जा सकेगी। नासा के बयान के अनुसार, NISAR की मदद से धरती पर बर्फ से जमे क्षेत्र में आए बदलाव का सबसे विस्तृत डाटा मिल सकेगा। जिसे क्रायोस्फीयर कहा जाता है। 

ग्लेशियरों के पिघलने की दर समझने में मिलेगी मदद
नासा में ग्लेशियरों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक एलेक्स गार्डनर ने बताया कि हमारी धरती पर मौजूद बर्फ तेजी से पिघल रही है और हमें इसके पिघलने की प्रक्रिया को समझने की जरूरत है, जिसमें NISAR सैटेलाइट मदद करेगी। निसार को इस साल लॉन्च किया जाना है और इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। यह सैटेलाइट पूरी पृथ्वी की जमीन और बर्फ के क्षेत्र का हर 12 दिन में दो बार सर्वेक्षण करेगी। 

ISRO: धरती के ग्लेशियरों पर नजर रखेगा भारत-अमेरिका का संयुक्त सैटेलाइट NISAR, जल्द हो सकती है लॉन्चिंग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 11 Jan 2024 12:22 PM IST

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नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने बयान में कहा कि ‘इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं।’ 
 

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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मिलकर बनाई गई सैटेलाइट निसार (NISAR- NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) लॉन्चिंग के लिए तैयार है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया जाएगा। इस सैटेलाइट की मदद से इसरो और नासा धरती पर पर्यावरण के लिए अहम वेटलैंड, ज्वालामुखी में आए बदलाव और जमीन और समुद्र की बर्फ में आए बदलावों का अध्ययन करेगी। निसार सैटेलाइट ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने की भी निगरानी करेगी। 

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धरती पर जमी बर्फ के क्षेत्र को समझने में मदद करेगा निसार सैटेलाइट
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि इससे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कैसे एक छोटी सी प्रक्रिया से अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों में बड़े बदलाव आते हैं। साथ ही इस उपग्रह की मदद से कृषि मानचित्रण और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जा सकेगी। नासा के बयान के अनुसार, NISAR की मदद से धरती पर बर्फ से जमे क्षेत्र में आए बदलाव का सबसे विस्तृत डाटा मिल सकेगा। जिसे क्रायोस्फीयर कहा जाता है। 

ग्लेशियरों के पिघलने की दर समझने में मिलेगी मदद
नासा में ग्लेशियरों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक एलेक्स गार्डनर ने बताया कि हमारी धरती पर मौजूद बर्फ तेजी से पिघल रही है और हमें इसके पिघलने की प्रक्रिया को समझने की जरूरत है, जिसमें NISAR सैटेलाइट मदद करेगी। निसार को इस साल लॉन्च किया जाना है और इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। यह सैटेलाइट पूरी पृथ्वी की जमीन और बर्फ के क्षेत्र का हर 12 दिन में दो बार सर्वेक्षण करेगी। 

न में दो बार सर्वेक्षण करेगी। 

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