अगर कायम रहा Exit Poll का ट्रेंड तो ऐसे हो सकते हैं महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजे
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में एक बार फिर केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में लौटने का अनुमान जताया गया है. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए को 361 से 401 सीटें मिल सकती हैं. इस एग्जिट पोल में इस साल के आखिरी में होने वाले राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनावों की दिलचस्प तस्वीर नजर आ रही है.
इन राज्यों में बीजेपी या एनडीए अब भी नंबर-1 है और वो भी ऐसी स्थिति में जब हरियाणा के जाटों में गुस्सा है, झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद लोगों में उन्हें लेकर सहानुभूति है. महाराष्ट्र में विरासत की लड़ाई (शिवसेना और एनसीपी के लिए) जारी है. हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी/एनडीए को 10 साल की एंटी-इंकम्बेंसी लहर का सामना करना पड़ सकता है तो वहीं झारखंड में इंडिया ब्लॉक की सरकार के सत्ता से हटने की संभावना है.
इसके अलावा विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे छाए रहते हैं जबकि राष्ट्रीय चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मिलने वाला फायदा भी इन चुनावों में काफी कम हो जाता है.
महाराष्ट्र
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट में महाराष्ट्र में एनडीए को 30 और इंडिया ब्लॉक को 18 सीटें मिलने का अनुमान है. शिवसेना और एनसीपी के दो गुटों के कारण एनडीए को कम से कम 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
जहां बीजेपी को 21 और शिवसेना (शिंदे गुट) को 9 सीटें मिलने की उम्मीद है, वहीं उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को 10 सीटें मिल सकती हैं. कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) को 4-4 सीटों पर जीत मिल सकती है. इससे इंडिया ब्लॉक में टेंशन भी बढ़ सकता है, क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस के वोट तो उद्धव ठाकरे की पार्टी को मिल रहे हैं, लेकिन ठाकरे गुट के वोट एनसीपी-कांग्रेस को ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं.
वोट शेयर के बारे में बात करें तो एनडीए को 46 फीसदी (-5%) और इंडिया ब्लॉक को 43 फीसदी (+11%) वोट मिलने का अनुमान है. 2019 के चुनाव में शिवसेना को रिकॉर्ड 24 फीसदी वोट मिले थे. इस बार शिंदे को 13 फीसदी और ठाकरे गुट को 20 फीसदी वोट मिल सकते हैं. 2019 में शिवेसना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 2024 में दोनों गुट 36 सीटों (शिंदे गुट 15 और ठाकरे गुट 21 सीट) पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस कारण इस बार दोनों गुटों का वोट शेयर 33 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है.
शिवेसना (उद्धव गुट) का प्रदर्शन पिछली बार से काफी बेहतर रहा है, क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस को मिलने वाले अल्पसंख्यक वोट उसकी तरफ ट्रांसफर हो गए हैं जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 8 फीसदी और बीजेपी को 2 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ था. इस बीच एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने अपना वोट शेयर बरकरार रखा.