कर्नाटक में रेवन्ना के ‘सेक्स स्कैंडल’ का फायदा उठा पाएगी कांग्रेस? BJP को कितना नुकसान
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के दो चरण के मतदान हो चुके हैं. तीसरे चरण में 7 मई को वोट डाले जाएंगे. तीसरे फेज में कर्नाटक की बची 14 सीटों पर भी वोटिंग होगी. इसी के साथ यहां मतदान का काम पूरा हो जाएगा. प्रदेश में दूसरे और आखिरी चरण के इस चुनाव में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच सीधी टक्कर है. इस फेज में किसी भी सीट पर जेडीएस (JDS) का उम्मीदवार नहीं है, लेकिन चर्चा उसी की हो रही है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और सांसद प्रज्ज्वल रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल ने प्रदेश के चुनाव को हाई वोल्टेज बना दिया है.
दक्षिण में इस बार बीजेपी ने पूरा जोर लगाया है और कर्नाटक को तो बीजेपी का ‘गेट-वे ऑफ साउथ’ कहा जाता है. अगर इस बार बीजेपी का वोटर शिफ्ट होता है तो उसके लिए कौन से फैक्टर्स अहम होंगे?
प्रज्जवल रेवन्ना मुद्दे को लेकर कांग्रेस के आक्रामक प्रचार की वजह है, दूसरे दौर की वो 14 सीटें जिन पर बीजेपी का कब्ज़ा है. पिछले तीन लोकसभा चुनावों में बीजेपी अपने इस किले को मज़बूत करती गई है. पिछले चुनाव में तो उसका स्ट्राइक रेट 100% था.
कर्नाटक में 7 मई को 14 सीटों पर मतदान
कर्नाटक में पिछले तीन लोकसभा चुनावों की बात करें तो जिन 14 सीटों पर चुनाव होने हैं, उस पर बीजेपी ने 2009 में 47 फीसदी वोट के साथ 12 सीटें, 2014 में 50 फीसदी वोट के साथ 11 सीटें और 2019 में 55 फीसदी वोट के साथ सभी 14 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस की बात करें तो उसने 2009 में 42 फीसदी वोट के साथ 2 सीट और 2014 में 42 फीसदी वोट के साथ 3 सीटें जीती. वहीं 2019 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर 33 फीसदी हो गया और वो सभी 14 सीटें हार गई. कांग्रेस अगर एक भी सीट छीनने में कामयाब होती है तो ये उसके लिए फ़ायदा ही है.
अब सवाल है कि प्रज्जवल रेवन्ना का सेक्स स्कैंडल सामने आने के बाद कर्नाटक में इस दौर के चुनाव में किसे नफा और किसे नुकसान हो रहा है? सभी 14 सीटें बचा पाना बीजेपी के लिए कितनी बड़ी चुनौती है? क्या कांग्रेस इस पोजिशन में है कि वो बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी कर सके?
बीजेपी और कांग्रेस के बीच 22 फीसदी वोट का अंतर
पिछले चुनाव के नतीजों को देखें तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच 22 फीसदी वोट का अंतर है. बीजेपी को 55 फीसदी वोट मिले और कांग्रेस को 33 फीसदी, क्या इतने बड़े अंतर को पाटना आसान है? रेवन्ना का मुद्दा कितना बड़ा है, क्या ये मतदाताओं खासकर महिला वोटरों को प्रभावित कर सकता है?