सरकारी अस्पतालों में थाइराइड, खून-पेशाब की जांच नहीं, स्वास्थ्य विभाग को हाई कोर्ट की फटकार
बिलासपुर। बिलासपुर समेत प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों में पिछले कई महीनों से थायराइड, खून-पेशाब जैसी जरूरी जांच भी नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से मरीजों को प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ रहा है. इस अव्यवस्था पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में मामले की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग को फटकार लगाई है.
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ में याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. शासन की तरफ से मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने व्यक्तिगत शपथपत्र पेश किया है. उपमहाधिवक्ता यशवंत कुमार ठाकुर ने शासन का पक्ष रखते हुए कहा रीजेंट की कमी दूर करने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. वहीं जिला अस्पताल में सेमी ऑटोमेटिक मशीन से जांच की जारी है, और सिम्स में भी जांच शुरू है.
मामले में हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदी गई लाखों की मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं होनी चाहिए. इससे जांच हो और नियमित समय पर रिपोर्ट मिले, इसकी व्यवस्था सरकार और स्वास्थ्य विभाग को करनी होगी. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नरों ने बताया कि अस्पतालों में जांच के लिए बायोकेमेस्ट्री मशीन और हार्मोनल एनालाइजर मशीन के लिए रीजेंट की कमी है.
इसके पहले सीजीएमसी ने 19 अप्रैल को शपथ पत्र में अस्पतालों में रीजेंट की डिमांड और सप्लाई की जानकारी दी थी. जिसमें बायोकेमेस्ट्री मशीन के लिए 122 की डिमांड में केवल 36 की सप्लाई की गई थी, वहीं 57 में से 39 हारमोनियम एनालाइजर मशीन की ही सप्लाई हो पाई थी. शासन के अधिवक्ता ने इस मामले में अपना पक्ष रखा. कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को रखी गई है.
कोर्ट कमिश्नरों से खोली अव्यवस्था की पोल
बता दें कि बिलासपुर जिला अस्पताल में अव्यवस्था पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए स्थिति का जायजा लेने के लिए दो कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए अस्पताल भेजा था. कोर्ट कमिश्नरों की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल आठ मशीनों में से चार बंद हैं. केवल चार मशीनों से जांच हो रही है.