आर.एस.एस.के संघर्ष की 100 वर्षों की गौरवमयी यात्रा
भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक उत्थान के लिए संघर्ष के 100 वर्षों की इस गौरवमयी यात्रा में आर.एस.एस. ने देश के हर पहलू को छुआ। 27 सितंबर 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई। संगठन का प्रारंभिक उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट करना और ङ्क्षहदू राष्ट्र (हिंदू राष्ट्र) की स्थापना के लिए चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना तथा ‘हिंदू अनुशासन’ स्थापित करना था। अनेक विरोध, अवरोध और संकटों को पार कर संघ की व्यापकता, शक्ति और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, इसलिए संघ की चर्चा भी सर्वत्र होती दिखती है। 100 साल की यात्रा के कई पड़ाव हैं।
अब संघ कार्य की विकास यात्रा तीव्र गति से चल रही है, जिसके कारण संघ परिवार आज वट वृक्ष बन गया है। 1 लाख संघ शाखाएं,15 करोड़ स्वयंसेवक, 2 लाख विद्यालय, 5 लाख शिक्षक,1 करोड़ विद्यार्थी, 2 करोड़ भारतीय मजदूर संघ के सदस्य,1 करोड़ विद्यार्थी परिषद के सदस्य, 17 करोड़ भाजपा सदस्य,1200 साहित्य प्रकाशन समूह, 9 हजार पूर्णकालिक कार्यकत्र्ता, 7 लाख पूर्व सैनिक, विश्व में 1 करोड़ विश्व हिंदू परिषद के सदस्य,1.5 लाख जन सेवा कार्य, प्रत्येक स्वयंसेवक राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए संघ के साथ घटक के नाते जुड़ता है।
संघ संस्थापक डा. हेडगेवार जी ने कहा था कि संघ कार्य को शाखा तक ही सीमित नहीं रखना है, उसे समाज में जाकर करना है। अपने परिवार के लिए आवश्यक अर्थार्जन करना, परिवार का ध्यान रखना और शाखा में नियमित जाना इतने मात्र से नहीं चलेगा। समाज परिवर्तन और जागरण के किसी भी कार्य में अपने समय का नियोजन कर सक्रिय होना यह संघ कार्य है। आर.एस.एस. के माध्यम से नए समॢपत व्यक्ति शायद संघ से नहीं भी जुड़ेंगे पर संघ स्वयंसेवक के नाते हम उनसे जुड़े। हमारे ही समाज के कुछ वर्गों को अछूत कहकर शिक्षा, सुविधा और सम्मान से पुरानी सरकारों ने दुर्भाग्य से वंचित रखा।
यह सरासर अन्यायपूर्ण था। इस अन्याय को दूर कर अपनी सांझी विरासत को याद कराते हुए सबको साथ लेकर आगे बढऩे के प्रयास ‘सामाजिक समरसता’ के माध्यम से आरम्भ हुए। जानिए, समाज के किन-किन क्षेत्रों में काम करते हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक।
विद्या भारती : यह शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत देश की सबसे बड़ी अशासकीय संस्था है। इसकी स्थापना 1977 में मुरलीधर दत्तात्रेय देवरस द्वारा की गई। वैसे प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना 1952 में गोरखपुर में की गई। अभी पूरे देश में लगभग 2 लाख औपचारिक और अनौपचारिक विद्यालय चल रहे हैं।
भारतीय मजदूर संघ : 23 जुलाई 1955 को भोपाल में दत्तोपन्त ठेंगड़ी द्वारा स्थापित यह देश का सबसे बड़ा केंद्रीय मजदूर संगठन है। इसका नारा है, ‘देश के हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम’। इसके 2 करोड़ के लगभग सदस्य हैं। यह संगठन अधिकार के साथ कत्र्तव्य की भी बात करता है। भगवा ध्वज को झंडा के रूप में अपनाया है।
भारतीय किसान संघ : इसकी स्थापना 4 मार्च 1979 में दत्तोपन्त ठेंगड़ी ने की थी। इसका उद्देश्य भारतीय किसानों का समग्र विकास है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद: आर.एस.एस. के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी की प्रेरणा से 13 जून 1948 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना की गई। 9 जुलाई 1949 को इसका निबंधन कराया गया। वर्तमान में पूरे देश में 1 करोड़ से अधिक इसके सदस्य हैं।
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद : इसकी स्थापना 1992 में दिल्ली में की गई थी। यह देश भर के अधिवक्ताओं को एक साथ लाने का मंच है।
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत : 1974 में पुणे में बिन्दुमाधव जोशी द्वारा स्थापित यह संगठन उपभोक्ता अधिकारों व जागरूकता के लिए काम करता है।
संस्कार भारती : ललित कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना वर्ष 1981 में लखनऊ में की गई।
सेवा भारती : 1979 में स्थापित संघ का यह प्रकल्प मुख्यत: आदिवासी क्षेत्रों में कार्य करता है।
संस्कृत भारती : संस्कृत को पुन: बोलचाल की भाषा बनाने के लिए कार्य करने वाली इस संस्था की 1996 में स्थापना हुई।
विश्व हिंदू परिषद : इसकी स्थापना जन्माष्टमी के दिन 1964 में मुंबई में की गई। इसका ध्येय वाक्य है, जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
स्वदेशी जागरण मंच : यह संघ का आर्थिक संगठन है और स्वदेशी उद्योगों और संस्कृति के विकास के लिए जागरूक करता है। स्वदेशी अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करता है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद : इसे 1966 को नई दिल्ली में स्थापित किया गया। यह भारतीय भाषाओं का देशव्यापी संगठन है।
राष्ट्र सेविका समिति : महिलाओं के बीच काम करने के लिए लक्ष्मीबाई केलकर जिन्हें मौसी जी के नाम से जानते हैं, ने आर.एस.एस. के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार के परामर्श से 1936 में विजयदशमी के दिन राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी।
भारतीय जनसंघ पार्टी: डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर एक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल की स्थापना के लिए तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरु जी से कार्यकर्ता की मांग की। कुछ संघ कार्यकत्र्ता इसी पक्ष में थे। 1951 में विधिवत रूप से भारतीय जनसंघ की स्थापना की गई। -श्वेत मलिक