महायुति में दिख रही ‘दरार’, अजित पवार क्यों बना रहे हैं बीजेपी से दूरी
मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति (बीजेपी गठबंधन) में विचारों की भिन्नता की दरार खुलकर सामने आ गई है। महायुति के साथी अजित पवार और उनकी पार्टी एनसीपी के नेता खुलकर बीजेपी नेताओं के बयानों को विरोध कर रहे हैं और उनसे किनारा कर रहे हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर महायुति से अलग होने की बात भी कर रहे हैं। महायुति की यह दरार इसलिए ज्यादा उभरी है क्योंकि बीजेपी जैसे जैसे हिंदू वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, वैसे वैसे अजित पवार की दिक्कत बढ़ रही है। सबके सामने अपना वोट बैंक बचाने की मजबूरी है।
महायुति में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टनर है। बीजेपी 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अजित पवार की एनसीपी 59 सीटों पर, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आरपीआई आठवले, युवा स्वाभिमान पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष और जनसुराज्य पक्ष भी महायुति का हिस्सा है, जो एक एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी महाराष्ट्र में खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान बंटेंगे तो कटेंगे से अजित पवार ने खुलकर किनारा किया है। उन्होंने साफ कहा कि वे इसका समर्थन नहीं करते हैं और महाराष्ट्र में ऐसा नहीं चलता। जहां अजित पवार की पार्टी के उम्मीदवार हैं उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वहां उन्हें पीएम, गृह मंत्री और यूपी सीएम के प्रचार की जरूरत नहीं है।
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि हम दोनों ही (बीजेपी और अजित पवार की पार्टी) एक दूसरे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अजित पवार का वोट बैंक वही है जो शरद पवार का है। वो वोट बैंक मुस्लिम और क्रिश्चियन का है। जहां अजित पवार की पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां वे तभी जीतेंगे जब उन्हें मुस्लिम और क्रिश्चियन वोट मिलेगा। उन्होंने कहा कि अजित पवार का वोट और सीटों पर भी बीजेपी को ट्रांसफर होगा, ये बहुत मुश्किल लग रहा है। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग होनी है। मुकाबला महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना (तब एक ही थी) ने 56 सीटें जीती थी और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
बीजेपी नेता अनौपचारिक बातचीत में मान रहे हैं कि यह अजित पवार के लिए खुद के अस्तित्व को बचाने का भी सवाल है। क्या अजित पवार को महायुति में लेने का बीजेपी को अफसोस हो रहा है, इस सवाल उन्होंने कहा कि उस वक्त चुने हुए लोगों को साथ लाकर गठबंधन किया था। तब कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन फिर से चुनकर आने में अलग अलग वोट बैंक की वजह से गुत्थी उलझ रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि हमें ज्यादा फर्क इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि हम पहले भी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं, लेकिन अजित पवार का राजनीतिक अस्तित्व खत्म ना हो, वे ये लड़ाई लड़ रहे हैं। बीजेपी नेता मान रहे हैं कि महायुति के बीच की दरार तो लोगों को साफ ही दिख रही है। क्या बीजेपी डैमेज कंट्रोल के लिए कुछ कर रही है, जवाब मिला- ये बियॉन्ड कंट्रोल (नियंत्रण से बाहर) है। हम अपनी सीटों पर फोकस कर रहे हैं।