मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर विवाद, मालाओं से लाद नेताजी का मुंह मीठा करा दिया, लिफाफे में निकला दूसरे का नाम, बंद कमरे में झूमाझटकी
गरियाबंद। भाजपा द्वारा गरियाबंद जिले में हाल ही में किए गए मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। विशेष रूप से झाखरपारा और फिंगेश्वर मंडल में कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष है। झाखरपारा में उमाशंकर को मंडल अध्यक्ष बनाने का ऐलान पहले ही किया गया था, लेकिन अंतिम समय में भगवानों बेहेरा का नाम घोषित कर दिया गया, जिससे माली समाज के नेताओं में नाराजगी है। इस फैसले के खिलाफ बिंद्रानवागढ़ के नेता राजधानी रायपुर पहुंचे और नियुक्तियों में अनियमितता का आरोप लगाया है।
मालाओं से लाद मुंह मीठा करा दिया गया था, लिफाफा दूसरे नाम का खुला
जिले भर में सबसे ज्यादा अप्रत्याशित नियुक्ति झाखरपारा मंडल मानी जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक इलाका माली समाज बाहुल्य है। वोटर्स का 68 फीसदी हिस्सा माली समाज से आते हैं। इसलिए भाजपा संगठन में पूर्व से माली समाज का दबदबा भी रहा है। झाखरपारा मंडल में ज्यादातर बड़े नेताओं ने मंडल अध्यक्ष के लिए उमाशंकर निधि का नाम पर सहमति दी थी। कॉन्फिडेंस इतना कि नाम ऐलान से एक दिन पहले ही जश्न मना लिया गया। उमाशंकर को फूल मालाओं से लाद मुंह मीठा कराया गया। सोशल मीडिया में बधाई तक दे दी गई। लेकिन अगले दिन प्रभारी ने बंद लिफाफा से भगवानों बेहेरा का नाम खोल दिया।
नाराज नेता राजधानी रवाना, समाज में भी आक्रोश
अप्रत्याशित चयन को लेकर माली समाज के बड़े नेता बिन्द्रानवागढ़ के शीर्ष नेताओं के साथ राजधानी पहुंच गए हैं। जहां नियोक्ताओं पर निचले स्तर पर अनियमितता का आरोप लगा कर कार्यकर्ताओं को भावना के साथ खिलवाड़ का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा के ओबीसी प्रकोष्ठ के पूर्व जिला अध्यक्ष व माली समाज के अध्यक्ष नीलकंठ बीसी ने कहा कि माहौल को असंतोषित करने के लिए कुछ लोगों की यह साजिश है। उमाशंकर पर सबकी सहमति बन गई थी। जल्द ही सामाजिक बैठक लेकर अपना रुख तय करने की बात बीसी ने कही है।
फिंगेश्वर में बंद कमरे में हुई खींचतान
फिंगेश्वर मंडल में मंजुलता हरित को मंडल अध्यक्ष बनाया गया, ये भाजपा के वरिष्ठ नेता भगवत हरित की बहू हैं। नाम का ऐलान होते ही भरी बैठक में जमकर हंगामा हो गया। वायरल हुए वीडियो के मुताबिक बंद कमरे में कार्यकर्ता खींचतान करते भी दिख रहे हैं। बताया जाता है कि कार्यकर्ता मुकेश साहू पर सहमति दे रहे थे। हंगामा के बीच बड़े नेताओं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। बताया जाता है कि यहां का विवाद भी ऊपर तक पहुंच गया है।