राजनीति

मतदान और नतीजों को लेकर कांग्रेस अलर्ट मोड पर

नई दिल्ली: आज होने वाली वोटिंग और शनिवार 23 नवंबर को होने वाली मतपत्रों की गिनती को देखते हुए कांग्रेस अलर्ट मोड पर दिख रही है। उसने इन दोनों अहम दिनों के लिए न सिर्फ पूरी रणनीति बनाई है, बल्कि बाकायदा सिलसिलेवार ढंग से काम भी शुरू कर दिया है। दरअसल, हरियाणा की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। उसने वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक अपने पोलिंग एजेंट्स को मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है।

दोनों राज्यों में 30 हजार पोलिंग एजेंट्स

पार्टी के एक अहम सूत्र के मुताबिक, दोनों राज्यों के लिए पार्टी की ओर से लगभग 30 हजार पोलिंग एजेंट्स की नियुक्ति की गई है। इन लोगों की नियुक्ति चुनाव प्रक्रिया से लेकर काउंटिंग तक के लिए संभावित गड़बड़ियों की आशंका के मद्देनजर की गई है। इतना ही नहीं, हाल ही में इन सभी पोलिंग एजेंट्स को बाकायदा ट्रेनिंग देकर समझाया गया है कि इन्हें चुनाव से लेकर मतगणना के दिन क्या-क्या करना है, किन चीजों का ध्यान रखना है। कहां-कहां गड़बड़ी हो सकती है।

एजेंट्स को दी गई ट्रेनिंग

इन लोगों को ट्रेनिंग में बताया गया है कि कैसे ईवीएम की बैटरी, वोटों का मिलान, वोटर्स की लिस्ट पर कड़ी नजर रखनी है। इसी के साथ इन्हें ऐप के जरिए फॉर्म 17सी के मिलान के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। इन एजेंटों से कहा गया है कि ये लोग वोटिंग के बाद मतपेटिंयों की निगरानी का काम भी करेंगे। बताया जाता है कि जिला स्तर पर बने वॉर रूम के जरिए पार्टी ने अपने पोलिंग एजेंट्स को बाकायदा ट्रेनिंग दी है। इतना ही नहीं, इन्हें समझाया गया है कि कैसे किसी भी असामान्य स्थिति के बनने पर तुरंत संज्ञान लेते व हरकत में आते हुए न सिर्फ ऊपरी स्तर पर सूचित करना है, बल्कि उसका निवारण भी सुनिश्चित कराना है। वहीं दोनों ही राज्यों में गठबंधन में चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने समन्वय समिति को इसके लिए तैयार किया है कि वह घटक दलों के साथ मिलकर बाकी सीटों पर ऐसी व्यवस्था करा सकें।

बड़े नेताओं को भी अलर्ट मोड में रहने का निर्देश

पोलिंग एजेंट्स के अलावा, पार्टी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को भी अलर्ट मोड पर रहने के लिए निर्देश दिया है, ताकि त्रिशंकु जनादेश में परिस्थितियों को भांपते हुए बिना समय गवाए सही फैसला लिया जा सके। दरअसल, झारखंड व महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में एनडीए व इंडिया गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है। ऐसे में पार्टी किसी भी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पार्टी के एक अहम रणनीतिकार का कहना था कि दोनों ही राज्यों में नियुक्त पर्यवेक्षकों की टीम नतीजों वाले दिन अपने अपने प्रभार वाले राज्यों में रहेगी, ताकि पल-पल की गतिविधि पर नजर रखी जा सके।

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