फ्लोर टेस्ट का चैलेंज मंजूर…. हरियाणा में दुष्यंत के दांव से आखिर क्यों डर नहीं रही है नायब सरकार
नई दिल्ली: हरियाणा की राजनीति में हलचल (Haryana Political Crisis) थमने का नाम नहीं ले रही है. लड़ाई अब दुष्यंत चौटाला बनाम नायब सैनी होने लगी है. बीजेपी नीत नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में है, क्यों कि तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है. नायब सरकार (Nayab Saini Government) गिरने का खतरा मंडरा रहा है. इस बीच हरियाणा सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने का खुला ऐलान करने वाले जेजेपी के दुष्यंत चोटाला ने अब हरियाणा के राज्यपाल को एक चिट्ठी लिख विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी है. उनका कहना है कि नायब सरकार को गिराने वाले विपक्षी दल को उनका पूरा समर्थन है.
नायब सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग
दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल से कहा है कि हम मौजूदा सरकार का समर्थन नहीं करते. हरियाणा में किसी भी दूसरे राजनीतिक दल द्वारा सरकार बनाने में समर्थन के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं. दो विधायकों की स्थिति के बाद सदन की संख्या 88 है. बीजेपी के पास 40 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 30 ,जेजेपी के 10 ,हलोपा और इनेलो के पास 1-1 विधायक हैं. दुष्यंत की मांग है कि राज्यपाल नायब सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाएं.
दुष्यंत चौटाला को CM नायब सैनी का जवाब
दुष्यंत चौटाला के अल्पमत वाले आरोप पर सीएम नायब सिंह सैनी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि जरूरत पड़ी तो विश्वास मत फिर से हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को अल्पमत में देखने वाले ये तो देख लें कि उनके पास विधायक भी हैं या नहीं. उनका कहना है कि सरपंच सरकार से नाराज नहीं हैं और उनके पास विश्वास मत मौजूद है. अगर इसे साबित करना पड़ा तो वह इसके लिए भी तैयार हैं.
नायब सरकार अल्पमत में है, कैसे होगा साबित?
नियम के मुताबिक, हरियाणा सरकार को अल्पमत में साबित करने के लिए विपक्षी दलों को सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा. लेकिन बड़ी बात ये है कि कांग्रेस मार्च में हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, ऐसे में तकनीकी तौर पर अभी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ नहीं लाया जा सकता, क्यों कि दो अविश्वास प्रस्ताव के बीच कम से कम 180 दिन का गेप होना जरूरी होता है. इसके हिसाब से 6 महीने तक सैनी सरकार पर कोई खतरा नहीं है. वह आगामी विधानसभा चुनाव तक आसानी से सरकार चला सकेगी.