संपादकीय

संसदीय मर्यादा के खिलाफ

पिछले महीने की 15 तारीख से शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते-होते ऐसे विवाद, मुद्दे और टकराव के बिंदु छोड़ गया, जिसकी छाप आगे भी संसदीय कार्यवाही पर दिखते रहने के आसार हैं। सच है कि इस सत्र के दौरान दोनों सदनों में गंभीर बहस के कुछ अच्छे पल भी आए, लेकिन ज्यादातर समय सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव ही हावी रहा।

संविधान पर बहस : 
संविधान पर दोनों सदनों में चली लंबी बहस तीखी जरूर रही, लेकिन यह ज्यादातर शांतिपूर्ण रही और इसमें आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही कई गंभीर मुद्दे भी उठे। जहां नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने देश के संविधान में निहित भारतीय परंपरा के शाश्वत तत्वों और आजादी की लड़ाई से मिली सीखों को रेखांकित किया, वहीं सत्ता पक्ष ने इमर्जेंसी काल की याद दिलाते हुए बताया कि संवैधानिक मूल्यों के उल्लंघन को देश ने कभी स्वीकार नहीं किया। इस बहस में दोनों पक्षों ने संवैधानिक पवित्रता के प्रति निष्ठा की वकालत की।

सभापति पर अविश्वास: संसद के इस सत्र के नाम एक यह रेकॉर्ड भी आया कि इतिहास में पहली बार राज्यसभा के सभापति के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि यह प्रस्ताव उपसभापति ने तकनीकी और प्रक्रियागत वजहों से खारिज कर दिया, लेकिन इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की बढ़ती हुई दूरी जरूर रेखांकित हुई।

एक देश, एक चुनाव : 
यह प्रकरण भी इस बात के एक उदाहरण के ही रूप में दर्ज हुआ कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के नजरिए में जो अंतर है, उसे पाटने की कोई खास कोशिश किसी तरफ से नहीं हो रही। विपक्ष के विरोधी रुख से अच्छी तरह वाकिफ होते हुए भी सरकार यह बिल लेकर आई, हालांकि इसे पास कराने के लिए जरूरी दो तिहाई बहुमत फिलहाल उसके पास नहीं है। जाहिर है, इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजकर भी सरकार ने देशवासियों को यह संदेश देना जरूरी समझा कि इस मुद्दे पर वह कोई समझौता नहीं करने वाली।

टकराव का चरम : इस पूरे सत्र के दौरान दोनों सदनों में अदाणी और जॉर्ज सोरोस के सहारे सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हमले करने और संसद का कामकाज ठप करने को लेकर जैसे एक-दूसरे से होड़ करते रहे। फिर भी, आखिर के दो दिन संसद भवन में जिस तरह के दृश्य दिखे, उनकी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। बाबा साहेब आंबेडकर को लेकर की गई गृहमंत्री की एक टिप्पणी पर विपक्ष ने तो संसद के अंदर और बाहर तूफान खड़ा करने में कोई कसर नहीं ही छोड़ी, सत्तापक्ष ने भी इसका जवाब देने में नए कीर्तिमान स्थापित किए। नतीजे धक्का-मुक्की, ICU में भर्ती और FIR के रूप में सामने आए, जो संसदीय लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

Show More

Daily Live Chhattisgarh

Daily Live CG यह एक हिंदी वेब न्यूज़ पोर्टल है जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के अलावा राजनीति, प्रशासन, ट्रेंडिंग न्यूज, बॉलीवुड, बिजनेस, रोजगार तथा टेक्नोलॉजी से संबंधित खबरें पोस्ट की जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button