पैदा हुआ बैंगनी रंग का बच्चा, करनी पड़ी सर्जरी, खर्च हो गए 42 करोड़
बच्चा पैदा हो तो खुशियों का ठिकाना नहीं रहता. लॉस एंजिल्स की रहने वाली एंडालुसिया मेसा भी काफी खुश थी. उसे बेटा पैदा हुआ था. लेकिन पैदा होते ही बच्चे को देखकर डॉक्टर घबरा गए. बच्चा बैंगनी रंग का था. वह ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था. इसके बाद सारी खुशियां चिंता में बदलती नजर आईं. डॉक्टरों ने तुरंत मां के हाथ से बच्चे को दूर कर दिया और उसे स्पेशल ट्रीटमेंट देने लगे. फिर पता चला कि उसकी सर्जरी करनी पड़ेगी, जो काफी महंगी है. मां ने तुरंत सर्जरी के लिए हामी भर दी. आप जानकर हैरान होंगे कि इस सर्जरी पर 5 लाख डॉलर यानी 42 करोड़ रुपये खर्च हुए.
अमेरिका के लॉस एंजिल्स में रहने वाली एंडालुसिया मेसा ने PEOPLE को बताया, दर्द के बावजूद डिलिवरी रूम में मैं काफी खुश थी. मुझे लग रहा था कि बच्चा बस अब मेरी गोद में होगा. लेकिन उसका रंग देखकर मैं एक पल के लिए डर गई. डॉक्टर और नर्स भी शॉक्ड थे. वैसे तो मेरी प्रेग्नेंसी नॉर्मल थी. बच्चा पेट में कभी-कभी हरकत करता था, जिसे महसूस कर खुशी होती थी. लेकिन जब डेट पूरी होने के बावजूद लेबर पेन नहीं हुआ, तो हम डॉक्टर के पास गए. फिर जो हुआ वह डराने वाला था.
क्यों हुई ऐसी वजह
एंडालुसिया मेसा के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के फेफड़ों में लिक्विड भरा हुआ है. इससे संक्रमण फैल गया है, जिसकी वजह से वह सांस नहीं ले पा रहा था. इसे डॉक्टरों ने कोड ब्लू नाम दिया. इलाज के लिए उसे तुरंत एनआईसीयू में ले जाया गया. धीरे-धीरे उसकी तबीयत और खराब होने लगी. हमने उसकी आंखें फड़कते हुए देखीं. लगा कि उसे दौरा पड़ रहा है. जब डॉक्टरों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि आप सही कह रही हैं, लेकिन वह ठीक हो जाएगा.
हमने पैरों में कंपन देखा
एंडालुसिया ने कहा, हमने अपने बच्चे के पैरों में कंपन देखा. इसके बाद इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम टेस्ट (ईईजी) करने को कहा, लेकिन डॉक्टरों ने मना कर दिया. इस टेस्ट में ब्रेन की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव मापी जाती है. आखिरकार जब बेटा कैपर सिर्फ 7 दिन का था, तब उसकी ईईजी करने की अनुमति दी गई. इससे पता चला कि बच्चे को हर 30 मिनट में दौरे पड़ रहे हैं. इससे ब्रेन को नुकसान पहुंच रहा है. संभव है कि उसे गर्भ में भी दौरे पड़ रहे हों. इसीलिए उसकी हरकतें भी गर्भ में असामान्य थीं.
एमआरआई में पकड़ आया
जब डॉक्टरों को लगा कि कैपर में कुछ गड़बड़ है, तो उसे एमआरआई करवाया. तभी उन्हें पता चला कि उसके बाएं हिस्से में मस्तिष्क की दिक्कत है. इसे हेमिमेगलेन्सेफली या एचएमई (Hemimegalencephaly) कहा जाता है. चिल्ड्रन नेशनल हॉस्पिटल के अनुसार यह अत्यंत दुर्लभ है स्थिति है. चंद बच्चों को ही यह होती है और सिर्फ एमआरआई से ही इसे पकड़ा जा सकता है. आमतौर पर लोगों को पता नहीं चलता क्योंकि प्रेग्नेंट महिलाओं का एमआरआई नहीं करवाया जाता.
अब क्या है हाल
एंडालुसिया ने कहा, जैसे ही में पता चला तो डॉक्टरों ने बताया कि इसका एकमात्र ट्रीटमेंट है हेमीस्फेरिक्टोमी करवाना होगा. यह मस्तिष्क के बाएं हिस्से को पूरी तरह से हटाने की सर्जरी है. जब कैपर सिर्फ एक महीने का था, तब यह सर्जरी की गई. लेकिन इससे उसके दौरे सिर्फ 50 फीसदी कम हुए. फिर दूसरी सर्जरी करनी पड़ी. दो हफ्ते तक हम अस्पताल में सिर्फ ईश्वर से प्रेयर ही करते रहे. अभी वह कुछ ठीक तो है, लेकिन अपना सिर नहीं उठा सकता. फिलहाल, वह पांच, छह, अलग-अलग एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं पर है और उसे अभी भी दौरे पड़ रहे हैं. एंडालुसिया ने कहा, हमें जब पता चला कि उसकी सर्जरी में काफी पैसे खर्च होंगे तो हमने GoFundMe मुहिम शुरू की. काफी लोगों से मदद मिली, लेकिन अभी भी हमें लंबा सफर तय करना है.