एग्जिट पोल का 400 पार
By: divyahimachal Jun 3rd, 2024 12:05 a
प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार इस पद पर आसीन हो सकते हैं। आम चुनाव, 2024 में भाजपा-एनडीए की शानदार और प्रचंड जीत भी लगभग तय है। वे 400 पार का लक्ष्य भी लांघ सकते हैं। इस तरह प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी मंत्र भी सार्थक और साकार हो सकता है। दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश में ‘भगवा गठबंधन’ का खाता खुल सकता है। कर्नाटक की चुनावी उपलब्धि यथावत रहेगी, जबकि दक्षिण के ही तेलंगाना राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर सकती है। जो जनादेश अभूतपूर्व और आश्चर्यजनक हो सकते हैं, वे पश्चिम बंगाल और ओडिशा के हो सकते हैं। दोनों राज्यों में भाजपा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और नवीन पटनायक के बीजू जनता दल को पराजित करती लग रही है। दोनों नेता अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं। यकीनन ये ऐतिहासिक उपलब्धियां होंगी। यदि प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार पदासीन होते हैं, तो वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कीर्तिमान की बराबरी कर लेंगे। भाजपा को भी 2014, 2019 के बाद लगातार तीसरी बार, अपने ही बूते, लोकसभा में बहुमत हासिल हो सकता है। बहरहाल अधिकृत जनादेश 4 जून को घोषित किया जाना है, लेकिन ये विभिन्न सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल के चुनावी निष्कर्ष हैं। एग्जिट पोल सर्वे की वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसका पश्चिमी और यूरोपीय देशों में सामान्य चलन और महत्वपूर्ण प्रभाव है।
अलबत्ता भारत में एग्जिट पोल की प्रक्रिया अपेक्षाकृत नई और सवालिया है। कई एग्जिट पोल हमने नाकाम और गलत होते देखे हैं, लेकिन ऐसे बहुत से चुनावी सर्वेक्षण सटीक और सफल भी रहे हैं। 18वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में जो मतदान कराए गए, ये चुनावी अनुमान और आकलन ‘भावी जनादेश’ के संकेत भर हैं। अधिकांश एग्जिट पोल का रुझान या जनादेश की सोच एक ही दिशा की ओर संकेत कर रहे हैं कि भाजपा को 320-330 सीटें हासिल हो सकती हैं। तीन-चार पोल में भाजपा-एनडीए की सीटें 400 पार जाती लग रही हैं। सबसे गौरतलब यह हो सकता है कि केरल, तमिलनाडु में उन्हें 22-27 फीसदी वोट मिल सकते हैं, नतीजतन दोनों राज्यों में 2-4 सीट प्रति के परिणाम मिल सकते हैं। आंध्रप्रदेश में भी खाता खुलना लगभग तय है। यदि ऐसा हुआ, तो भाजपा दक्षिण में अभिशप्त और शून्य पार्टी नहीं रहेगी, बल्कि उसकी स्वीकार्यता ‘राष्ट्रीय’ होगी। तेलंगाना में 4 सीट से 10-12 सीट तक का सफर तय करना भाजपा-एनडीए की एक दुर्लभ उपलब्धि है। वहां कांग्रेस सत्तारूढ़ है, लेकिन संसदीय जनादेश मोदी-भाजपा के पक्ष में लग रहा है। दक्षिण से भी महत्वपूर्ण जीत बंगाल और ओडिशा की साबित हो सकती है। बंगाल में 45 फीसदी से ज्यादा वोट भाजपा को मिल सकते हैं, जबकि तृणमूल को 40 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ेगा। यह समीकरण 2019 के चुनाव से बिल्कुल उल्टा हो गया है।
भाजपा का बुनियादी वोट बैंक हिंदी पट्टी में रहा है, लेकिन उसके बिहार, उप्र, राजस्थान, हरियाणा सरीखे राज्यों में भाजपा-एनडीए की सीटें कम होने के अनुमान हैं, लेकिन गठबंधन विजेता ही रहेगा। गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली आदि राज्यों में भाजपा का हासिल 2019 की तरह शत-प्रतिशत रह सकता है। महाराष्ट्र के बारे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि ब्रह्मा भी नहीं बता सकते कि महाराष्ट्र का जनादेश क्या रहेगा? यदि उसे ही आधार माना जाए, तो भाजपा-एनडीए की बीते कार्यकाल से लगभग 10 सीटें कम हो सकती हैं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता दल-यू कमजोर कड़ी साबित हुआ है, लिहाजा ‘इंडिया’ 7-10 सीटें जीत सकता है। बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी मंत्र के दावे कामयाब होते लगते हैं, लिहाजा देश का मूड स्पष्ट है, लेकिन विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ आखिर तक मुगालते में रहा कि उसके पक्ष में जनादेश कैसा रहेगा। अब एग्जिट पोल के निष्कर्ष सार्वजनिक होने के बाद ऐसी कुंठित टिप्पणियां सामने आ रही हैं कि भाजपा अडानी, अंबानी के स्वामित्व वाले 66 चैनलों के सहारे मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ रही है। सर्वे करने वाले ‘बौद्धिक बलात्कारी’ हैं। यह कम्प्यूटर बाबा का कमाल है। आप देख लेना, ‘इंडिया’ की ही सरकार बनेगी।’’ कहने का भाव यह है कि विपक्ष इस एग्जिट पोल को कपोल कल्पना बता रहा है। उसे अब भी जीत की उम्मीद है। खडग़े कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन को 295 सीटें मिल रही हैं। राहुल ने भी यही शब्द दोहराए हैं। बहरहाल, हम तो 4 जून को भी देखेंगे और विश्लेषण करेंगे।