संपादकीय

जयपुर टैंकर ब्लास्ट दुर्घटना से सबक

जयपुर-अजमेर हाईवे पर 20 दिसम्बर की सुबह एल.पी.जी. टैंकर ब्लास्ट की चपेट में 34 यात्रियों से भरी स्लीपर बस आ जाने के परिणामस्वरूप उसमें सवार 12 यात्री जिंदा जल कर मर गए जबकि 35 यात्री गंभीर रूप से  झुलस गए। ‘गेल इंडिया लिमिटेड’ के डी.जी.एम. (फायर एंड सेफ्टी) सुशांत कुमार सिंह के अनुसार यू-टर्न लेने के दौरान हुई टक्कर के परिणामस्वरूप टैंकर के 5 नोजल टूट गए और 18 टन गैस लीक हो गई। आग इतनी तेजी से फैली कि 40 से अधिक वाहन इसकी चपेट में आ गए। लीक हुई गैस में आग लग जाने से इतना जोरदार धमाका हुआ कि 200 मीटर का इलाका आग के गोले में तबदील हो गया और धमाके की आवाज डेढ़ किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। 

जहां उक्त दुर्घटना के कारण जानमाल की भारी हानि हुई है, वहीं ऐसी दुर्घटनाओं के दृष्टिïगत शायद अब समय आ गया है कि वाहनों का ड्राईविंग लाइसैंस देते समय अमरीका तथा अन्य विकसित देशों की भांति हमारे देश में भी वाहन चालकों का लिखित और प्रैक्टीकल टैस्ट लिया जाए। अभी हमारे यहां ड्राइवरों को लाइसैंस देते समय सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी बारे कठोरतापूर्वक जांच नहीं की जाती और इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता कि ट्रक किस लेन में कितनी गति से जाएगा। यह नियम न केवल आम सड़कों पर बल्कि हाईवेज़ पर भी लागू होना चाहिए। आम तौर पर वाहन चालक सड़क सुरक्षा तथा वाहन चलाने के नियमों का पालन नहीं करते हैं। अत: एक तो लाइसैंस जारी करने के समय ही अधिक कठोरता बरतने की आवश्यकता है। 

इतने बड़े टैंकर के यू-टर्न लेने का फैसला ड्राईवर कैसे ले सकता है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि इन तथ्यों के प्रकाश में वाहन चालकों के स्वास्थ्य तथा आंखों की नियमित रूप से जांच होनी चाहिए। कुछ समय पूर्व यह समाचार भी आया था कि अधिकांश ट्रक चालकों की नजर खराब हो चुकी है। अत: इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को सख्ती से सड़क सुरक्षा नियमों का पालन यकीनी बनाना पड़ेगा।

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