क्या नवनीत की होगी ‘संसद’ वापसी! राज्य में वापस आएंगे बीजेपी के बड़े नेता ?
मुंबई: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक नहीं हुआ है। महायुति सरकार को सत्ता में आए 5 दिन बीत गए। हालांकि अब तक विभागों के बंटवारे की घोषणा नहीं की गई है। बीजेपी ने राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे को राज्य में मंत्री के रूप में लाने के लिए कदम उठाए हैं। जबकि विभाग साझा करने पर चर्चा चल रही है। वहीं उनकी जगह नवनीत राणा को संसद भेजा जा सकता है।
बीजेपी के लिए अहम
दरअसल 2019 में नवनीत राणा ने लोकसभा चुनाव जीता था। वह अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनी गईं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गईं। जिले के बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद वह पार्टी में शामिल हुईं। इसके बाव वह चुनाव लड़ीं लेकिन कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े ने उन्हें हरा दिया। नवनीत राणा की भूमिका बीजेपी के लिए पूरक की रही है। जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। तब उन्होंने हनुमान चालीसा का जाप करने के मुद्दे को लोकप्रिय बनाया था। वह लगातार ठाकरे पर निशाना साधते रहती हैं। लोकसभा में हार के बाद वह संसद जाने को बेताब हैं। उनकी ये मांग जल्द ही पूरी हो सकती है।
अमरावती से बीजेपी नेता अनिल बोंडे फडणवीस कैबिनेट में कृषि मंत्री रह चुके हैं। नवनीत राणा की तरह वह भी आक्रामक नेता हैं। अब बीजेपी इन दोनों आक्रामक नेताओं की अदला-बदली की तैयारी कर रही है। बोडे को दिल्ली से राज्य वापस लाया जाएगा। इस बात की पूरी संभावना है कि उन्हें फडणवीस कैबिनेट में जगह दी जाएगी। वहीं नवनीत राणा बोंडे की जगह भरेंगी। बीजेपी के सूत्र ने इसकी सूचना दी है।
अमरावती में पहली बार बीजेपी के पांच विधायक चुने गए हैं। इस जीत में बोंडे की बड़ी हिस्सेदारी है। इसलिए बीजेपी नेतृत्व का इरादा बोंडे को राज्य में वापस लाकर मंत्री बनाने का है। बोंडे के रूप में अमरावती को कैबिनेट में जगह मिलेगी। बोंडे 5 जुलाई 2022 को राज्यसभा गए। इनका कार्यकाल 2028 तक है। इसलिए उनकी जगह सांसद बनने वाली नवनीत राणा को साढ़े तीन साल का कार्यकाल मिलेगा। फिलहाल महायुति की संख्या बल को देखते हुए राणा उपचुनाव में आसानी से जीत हासिल करेंगी।
बलवंत वानखेड़े की बढ़ सकती है बेचैनी
अगर नवनीत राणा को राज्यसभा में मौका दिया गया तो कांग्रेस सांसद बलवंत वानखेड़े की बेचैनी बढ़ सकती है। नवनीत राणा की जगह लेने के लिए राज्य में आने वाले बोंडे के पास मंत्री पद का अनुभव है। इससे बीजेपी को फायदा होगा। राज्य विधान परिषद की 6 सीटें खाली हैं। इसलिए अगर बोंडे को मंत्री पद दिया जाता है, तो बीजेपी के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधानमंडल का सदस्य बनाना मुश्किल नहीं होगा।