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समुद्र में होता इंटरनेट की तारों का जाल, सिक्योरिटी के लिए बनी इंटरनेशनल एडवाइजरी बॉडी

सबमरीन टेलीकम्युनिकेशन केबल की मदद से ग्लोबल कम्युनिकेशन किया जाता है, इसकी मदद से 99 प्रतिशत इंटनरेट ट्रैफिक और कई जरूरी सर्विस ऑपरेट की जाती है। सबमरीन टेलीकॉम का सीधा मतलब होता है कि समुद्र के पानी में तारें बिछाई जाती हैं, जिससे पूरी दुनिया के देश कनेक्ट रहते हैं। 2024 तक, 500 एक्टिव और प्लांड सबमरीन केबल सिस्टम ऑपरेशन में हैं। हालांकि, केबल में डैमेज भी हो जाती है। हर साल ग्लोबली 150-200 बार खराबी होती है।

केबल के खराब होने के पीछे मछली पकड़ना, एंकरिंग, नेचुरल खतरे और इक्विप्मेंट फेल भी हैं। अब इन सब चीजों से बचने के लिए काम किया जा रहा है। इंटरनेशनल केबल प्रोटेक्शन कमेटी (ICPC) और इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) ने जॉइंट ऑपरेशन की शुरुआत की है। दोनों ने मिलकर इंटरनेशनल एडवाइजरी बॉडी की शुरुआत की है। इसका काम ऐसे खतरों से निपटने का है।

एडवाइजरी बॉडी में 40 सदस्य होंगे जो अलग-अलग चीजों पर सलाह देंगे। सभी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। सबमरीन केबल के लिए ये बड़ी चुनौती साबित होती है। भारत का ग्लोबल केबल नेटवर्क में अहम रोल होता है। भारत में 17 इंटरनेशनल सबसी केबल हैं जो 14 लैंडिंग स्टेशन के बीच फैली हुई हैं। भारत में लैंडिग स्टेशन मुंबई, चेन्नई, कोच्चि, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम में मौजूद हैं।

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