महाराष्ट्र में अच्छी नहीं अनिश्चितता
यह भी महाराष्ट्र की समकालीन राजनीति की एक दिलचस्प खूबी ही कही जाएगी कि मतदाताओं के प्रचंड जनादेश के बावजूद सरकार गठन की प्रक्रिया मुश्किलों से घिरी दिख रही है। अपनी तरफ से शपथ ग्रहण की तारीख घोषित करके BJP ने यह कोशिश जरूर की है कि सभी मतभेद तब तक सुलझा लिए जाएं, लेकिन इस कदम का भी कितना और कैसा असर होगा, इसे लेकर तत्काल कोई नतीजा निकालना मुश्किल साबित हो रहा है।
राजनीति में हालांकि इस तरह के असमंजस की स्थिति बनती रही है, लेकिन जिस तरह की अप्रत्याशित जीत महायुति के हिस्से में आई है, उसके बाद इसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी। इस देरी से जहां जनता के बीच महायुति के घटक दलों में आपसी विश्वास और सामंजस्य की कमी का संदेश जा रहा है और सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर BJP की स्थिति असहज हो रही है, वहीं विपक्षी खेमे को भी टीका-टिप्पणी का मौका मिल रहा है।
फिलहाल कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे एकनाथ शिंदे के अचानक सातारा जाकर बैठ जाने के पीछे भले ही औपचारिक तौर पर उनकी सेहत खराब होने का हवाला दिया जा रहा हो, उनकी पार्टी के ही कई नेता इसे परोक्ष धमकी के रूप में इस्तेमाल करते हुए कह रहे हैं कि शिंदे इस तरह से अपने गांव तभी जाते हैं जब कोई ‘बड़ा फैसला’ करना होता है। इसलिए शिंदे क्या करेंगे, इस बात को लेकर भी अटकलें लग रही हैं।
सवाल अगर ज्यादा दूर तक नहीं जा रहा तो उसके पीछे चुनाव नतीजों से निकले ठोस राजनीतिक समीकरण ही हैं, जिनमें किसी वैकल्पिक व्यवस्था की गुंजाइश नहीं दिख रही। BJP और अजित पवार की अगुआई वाली NCP के विधायकों का जोड़ ही सुविधाजनक बहुमत जुटा देता है। अजित पवार जिस मजबूती से BJP के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, उसमें एकनाथ शिंदे कोई भी फैसला करें, BJP नेतृत्व का सिरदर्द नहीं बन सकते।
फिर भी BJP के लिए सबको साथ लेना और सबका विश्वास हासिल करते हुए आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है। आगामी मुंबई महानगरपालिका के चुनाव तय करेंगे कि मुंबई में किसका दबदबा रहेगा। मुंबई और ठाणे में शिंदे के प्रभाव को देखते हुए BJP उन्हें दूर करके उद्धव ठाकरे की शिवसेना को जड़ें मजबूत करने का मौका नहीं देना चाहेगी। लिहाजा, उन्हें मनाना BJP नेतृत्व के लिए जरूरी है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो महाराष्ट्र जैसा अहम मोर्चा फतह करने के बाद भी इस तरह का अनिश्चय NDA और महायुति की तरफ से कोई अच्छा संदेश नहीं दे रहा। यह जितनी जल्दी दूर हो, उतना ही अच्छा है।