मोदी के साथ देख रहे ‘द साबरमती रिपोर्ट’, बिहार की सियासत में ये कैसा संकेत?
गोधरा कांड पर बनी फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की इन दिनों खूब चर्चा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार शाम अपने सहयोगियों के साथ यह फिल्म देखी. संसद के लाइब्रेरी भवन में इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग हुई, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत सभी बड़े नेता मौजूद थे. पूरा लाइब्रेरी भवन हाउसफुल था. फिल्म देखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माताओं की तारीफ की. लेकिन इस स्क्रीनिंग से एक ऐसी तस्वीर निकलकर आई, जिसका बिहार की सियासत के लिए बड़े मायने हैं.
फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी तो पहली पंक्ति में थे ही, उन्हीं के साथ केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठे नजर आए. ऐसे में जिसने भी यह तस्वीर देखी तो ललन सिंह का हाल ही में दिया बयान सामने आ गया. मुजफ्फरपुर में जेडीयू कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में ललन सिंह ने कहा था, मुस्लिम जेडीयू को वोट नहीं करते, गलतफहमी मत पालिए, हम मुगालते में नहीं है कि पहले नहीं देते थे, अब देते हैं. अल्पसंख्यक समाज के लोग कभी वोट नहीं करते हैं. लेकिन, सीएम नीतीश सबके बारे में सोचते हैं. हालांकि, इस पर बवाल होने के बाद बाद में ललन सिंह ने इस पर सफाई दी कहा, उनकी बात को तोड़मरोड़कर पेश किया गया. लेकिन जब वे पहली पंक्ति में बैठकर ‘द साबरमती रिपोर्ट’ देखते नजर आए, तो फिर उनके इस बयान पर चर्चा छिड़ गई. लोग पूछने लगे कि क्या ललन सिंह रास्ता बदल रहे हैं.
बिहार में घमासान
ललन सिंह के बयान पर बिहार में घमासान मचा हुआ है. तेजस्वी यादव इसे भुनाने में जुटे हैं, तो जेडीयू के मुस्लिम नेता और उलेमा ललन सिंह के बचाव में उतर आए हैं. जदयू के पूर्व सांसद रसूल बलियावी ने कहा, जेडीयू को वोट नहीं देने वाले मुसलमान सबसे बड़े गद्दार होंगे. बिहार के मुसलमानों की इज्जत और सीमांचल के मुसलमानों की आबरू का यह सवाल है. पूर्व सांसद अशफाक करीम ने कहा कि हर एक को पार्टी के कार्य याद दिलाते रहना चाहिए. सरकार ने सभी के लिए काम किया है. अल्पसंख्यकों से आगे बढ़कर जेडीयू का साथ देना चाहिए.
गजब है संयोग
धीरज सरना द्वारा निर्देशित ‘द साबरमती रिपोर्ट’ में 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने की घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करने का दावा किया गया है. तब अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं को ट्रेन में ही जिंदा जला दिया गया था. इसमें विक्रांत मैसी के अलावा राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा मुख्य भूमिका में हैं. विपक्ष इसे बीजेपी का हिदुत्व एजेंडा बता रहा है. ऐसे में जेडीयू के बड़े नेता का फिल्म देखना, कई लोगों को खटक रहा है.
सोशल मीडिया पर सवाल
सोशल मीडिया में लोग ललन सिंह पर सवाल उठा रहे हैं. कुछ तंज कस रहे हैं कि तेजस्वी चुनाव अभियान की शुरुआत ललन सिंह के क्षेत्र से ही करने वाले हैं. एक्स पर उमर उस्मानी नाम के एक यूजर ने पूछा, ललन सिंह के बयान पर नीतीश कुमार का स्टैंड क्या है? क्या वे इससे सहमत हैं? उन्हें ललन सिंह जैसे नेताओं से सचेत रहना होगा.