जब IT वाला ही हो गया स्कैम का शिकार, तीन घंटे तक रहे डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट स्कैम अब इतना खतरनाक हो चुका है कि कोई भी किसी भी वक्त इसकी चपेट में आ सकता है। हर दिन सरकार और मीडिया लोगों को इसके बारे में आगाह कर रहे हैं लेकिन हर दिन लोग डिजिटल अरेस्ट हो रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि साइबर एक्सपर्ट और आईटी एक्सपर्ट भी इस डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बच नहीं पा रहे हैं। आज हम आपको उस नई दिल्ली के एक ऑफिस में काम करने वाले आईटी पर्सन के साथ हुए डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बारे में, उसी की जुबानी बताएंगे…
राजेश के साथ कैसे हुई डिजिटल अरेस्ट स्कैम की शुरुआत?
ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं नाश्ता करके लेटा हुआ था। थोड़ी झपकी भी आ रही थी, तभी करीब 11 बजे कॉल आई जो कि ट्राई की ओर से IVR कॉल थी। कॉल पर कहा गया कि आपके नंबर पर कई शिकायतें दर्ज की गई हैं और आपका नंबर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है। आपके नाम पर लिए गए सभी सिम कार्ड बंद हो जाएंगे। इस मामले में ट्राई के अधिकारी से बात करने के लिए 1 दबाएं। इसके बाद मैंने 1 दबाया तो कॉल किसी को ट्रांसफर की गई और एक नंबर दिया गया। कहा गया कि इस नंबर को दिल्ली साइबर क्राइम के नाम से सेव कर लो। थोड़ी देर में कॉल आएगी और ऑनलाइन स्टेटमेंट ली जाएगी। यह भी कहा गया कि इसके बारे में किसी को बताना नहीं है, नहीं तो तुरंत गिरफ्तारी हो जाएगी।
फिर उधर से मेरा आधार नंबर बताया गया जो कि सही था। कहा गया कि इस नंबर से 70 परिवार के लोगों को धमकाया गया है। ऑनलाइन स्टेटमेंट देना होगा। थोड़ी देर बाद व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आई। कॉल रिसीव करने के बाद सामने एक शख्स पुलिस की वर्दी में बैठा हुआ था जिसने अपना सुरेश बताया। वह कश्मीरी लग रहा था। देखकर ऐसा लग रहा था कि वह वास्तव में दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम के ऑफिस में बैठा था, क्योंकि ऑफिस में दिल्ली पुलिस का लोग, तिरंगा और साइबर क्राइम पुलिस का लोगो भी दिख रहा था। उसकी वर्दी पर दो स्टार भी थे।
किसी को बताने पर 90 दिनों की कस्टडी की धमकी
उसने पहले मेरा आधार कार्ड चेक किया और कहा कि यदि आपने कुछ नहीं किया है तो कोई दिक्कत नहीं होगी। पूरा सपोर्ट किया जाएगा, घबराने की कोई जरूरत नहीं है। फिर उसने किसी से वॉकी-टॉकी पर बात की। मुझे स्पीकर पर सुनाई दे रहा था कि वह किसी पीसीआर वैन से मेरा आधार वेरिफाई करवा रहा था। वैन की ओर से कहा गया कि हां यही है इसे कहीं जाने मत देना। इसके लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है। इसे 90 दिनों तक पुलिस कस्टडी में रखना है। मेरे से कहा गया कि आप संदिग्ध हैं, दोषी नहीं हैं, आपकी पूरी मदद की जाएगी
मैं और पत्नी दोनों हो गए डिजिटल अरेस्ट
फिर फोन के पीछे (रियर) के कैमरे को ऑन करके पूरे घर को स्कैन करवाया गया। जब मैं वीडियो कॉल पर बात कर रहा था इस दौरान मेरे पिताजी, मां और मेरी पत्नी भी कमरे में मौजूद थी। वीडियो कॉल करने वाले पुलिस वाले ने कहा कि किसी को भी इस घटना के बारे में बताया तो 90 दिन की पुलिस कस्टडी हो जाएगी और जुर्माना भी बढ़ा दिया जाएगा। इसके बाद मेरी पत्नी को मेरे साथ ही वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए कहा गया और पिताजी-मां को कमरे से बाहर जाने के लिए कहा गया।
मांगी गई बैंक अकाउंट की पूरी जानकारी
फिर से मेरे से मेरे बैंक अकाउंट की जानकारी मांग गई और कहा गया कि अकाउंट में जितने पैसे हैं उनकी सही-सही जानकारी दो, क्योंकि सिर्फ वही पैसे मिलेंगे जिसकी जानकारी आप रिकॉर्ड में लिखवाओगे। डर के मारे मैंने सभी बैंक अकाउंट और बैलेंस की जानकारी दे दी। मेरे से कहा गया कि फाइल की जांच हो रही है, तब तक आप लगातार वीडियो कॉल पर बने रहें।
मैं इस महास्कैम से कैसे बचा?
शुरुआत में मुझे यह स्कैम नहीं लगा, क्योंकि वे पैसे नहीं मांग रहे थे। वे सिर्फ पूछ रहे थे कि किस अकाउंट में कितने पैसे हैं। मैंने कहां-कहां और कितना निवेश किया है। व्हाट्सएप पर मेरे पास एक दिल्ली साइबर पुलिस का लेटर भी भेज गया जिसमें लिखा था कि मेरा नंबर कई सारे स्कैम में शामिल है। उसमें मेरा ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स स्मगलिंग और मानव तस्करी में शामिल होने जैसी बातें लिखी हुई थीं। लेटर पर साइबर पुलिस का मुहर और हस्ताक्षर भी था। जब उसने अपने कैमरे को बंद किया और कहा मेरी नजर तुम पर है। कही जाना नहीं है। डॉक्यूमेंट की जांच हो रही है। इसके बाद हम बात करते हैं। इस दौरान मैंने इधर उधर देखा तो उसने टोका फिर मैंने चुपके से कॉल की जांच को देखा कि पहली कॉल +88 से आई थी। फिर मुझे ध्यान आया कि ये तो भारत का नंबर ही नहीं है। इसके बाद मैंने कॉल कट किया और फिर थाने में गया और इस तरह मैं इस महास्कैम से बच गया।
डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम से कैसे बचें
- किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल्स पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
- सरकारी एजेंसियों के नाम पर आने वाले कॉल्स की जांच करें।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
- किसी भी हालत में पैसे ट्रांसफर ना करें।
- +88, +84, +62, +60 जैसे नंबर से आने वाली किसी भी कॉल को रिसीव ना करें।
याद रखें कि देश की कोई भी एजेंसी किसी भी तरह की जांच के लिए वीडियो कॉलिंग का इस्तेमाल नहीं करती है और ना ही किसी को डिजिटल अरेस्ट करती है।