संपादकीय

घिरे अडानी

नई दिल्ली: देश के जाने माने अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिकी निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और भारत में अधिकारियों को रिश्वत देने के ताजा आरोपों ने एक बार फिर राजनीति से लेकर बाजार तक सबको हिला दिया है। हालांकि ये अभी आरोप ही हैं, जिनका अडाणी ग्रुप ने खंडन किया है।

इस ग्रुप से जुड़ा पिछला विवाद अमेरिका के ही एक प्राइवेट एनालिस्ट फर्म हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर था, जिसमें इस ग्रुप पर अपने शेयरों के भाव गलत ढंग से चढ़ाने का आरोप लगाया गया था। मगर इस बार मामला किसी प्राइवेट पार्टी का नहीं बल्कि अमेरिकी नियामक सिक्यॉरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन (SEC) का है। अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने भारत में अपने सोलर एनर्जी प्रॉजेक्ट्स के कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया।

आरोपों की गंभीरता इस बात से भी साबित होती है कि उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क में गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो चुका है। यह बात सही है कि SEC की जांच-पड़ताल आखिरकार कहां पहुंचेगी इस बारे में फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकाला जा सकता और यह भी कि SEC के साथ विवाद में पड़ने वाली कंपनियों की सूची में सीमेंस, पेट्रोब्रास, हॉलिबर्टन और गोल्डमैन सैक्स जैसे बड़े-बड़े नाम शामिल रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अडानी ग्रुप की आगे की राह आसान साबित होने वाली है।

ताजा विवाद का पहला प्रत्यक्ष प्रभाव यह हो सकता है कि अमेरिका में निवेश जुटाना इस ग्रुप के लिए कम से कम आने वाले कुछ समय के लिए खासा मुश्किल हो जाए। अन्य देशों में भी इसके प्रॉजेक्ट्स के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इसका उदाहरण केन्या से आई वह खबर है, जिसके मुताबिक वहां की सरकार ने SEC के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप से जुड़ी करीब 2.5 बिलियन डॉलर की डील कैंसल कर दी।

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