साइबर सुरक्षा, मोबाइल ट्रैफिक पर होगी सरकार की पैनी नजर, साइबर अटैक की रिपोर्ट 6 घंटे के भीतर हो
नई दिल्ली. सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के मकसद से बड़ा कदम उठाया है. नए नियमों के तहत मोबाइल ऑपरेटरों पर उपयोगकर्ताओं के ट्रैफिक डेटा (मैसेज कंटेंट को छोड़कर) को केंद्र सरकार के साथ साझा करने की जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा, कंपनियों को किसी भी साइबर सुरक्षा उल्लंघन की घटना होने पर छह घंटे के भीतर सरकार को इसकी जानकारी देनी होगी.
सरकार ने मोबाइल फोन बेचने वाली कंपनियों को निर्देश दिया है कि भारत में निर्मित या आयात किए गए सभी डिवाइसों के अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान संख्या (IMEI) का पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाए. यह कदम फर्जी उपकरणों और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है.
नए नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार या उसके द्वारा अधिकृत कोई एजेंसी टेलीकॉम साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों से ट्रैफिक डेटा और अन्य जानकारी मांग सकती है. हालांकि, संदेशों की सामग्री इसमें शामिल नहीं होगी. सरकार इस डेटा का विश्लेषण करेगी और इसे कानून प्रवर्तन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा कर सकेगी
नए कानून के तहत, टेलीकॉम कंपनियों को आवश्यक बुनियादी ढांचा और उपकरण स्थापित करने होंगे ताकि डेटा को संग्रहित और सुरक्षित रखा जा सके. इसके अलावा, सरकार ऐसे लोगों और टेलीकॉम पहचानकर्ताओं का डेटाबेस भी बनाएगी, जिन पर आदेशों के तहत कार्रवाई की गई हो. ऐसे व्यक्तियों को तीन साल तक टेलीकॉम सेवाओं तक पहुंच से प्रतिबंधित किया जा सकता है.
हर टेलीकॉम कंपनी को एक चीफ टेलीकॉम सिक्योरिटी ऑफिसर (CTSO) की नियुक्ति करनी होगी, जिसकी जानकारी सरकार को लिखित रूप में दी जाएगी. नियमों के मुताबिक, अगर किसी टेलीकॉम नेटवर्क या सेवा पर साइबर सुरक्षा से जुड़ी घटना होती है, तो टेलीकॉम कंपनी को छह घंटे के भीतर केंद्र सरकार को इसकी सूचना देनी होगी. इसके लिए एक डिजिटल पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जहां ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज की जा सकेगी.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नए नियमों का उद्देश्य टेलीकॉम साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाना है. डेटा का उपयोग केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा और इसे टेलीकॉम कंपनियों या उपयोगकर्ताओं के साथ साझा करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका दुरुपयोग न हो.