जब 1 हिंदी गाने ने बचाई रॉ एजेंट की जान, बाल भी बांका नहीं कर पाए आतंकवादी
नई दिल्ली: भारत की स्पेशल फोर्सेज और रॉ एजेंट पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन असली ऑपरेशंस और इनमें जमीन-आसमान का फर्क होता है. ऐसा कहना है- लक्ष्मण सिंह बिष्ट उर्फ लकी बिष्ट का, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए कई बार अपनी जान की बाजी लगाई. वे एकमात्र भारतीय हैं, जिनका नाम दुनिया के बेस्ट 200 स्नाइपर्स में शामिल है. लकी बिष्ट पर लिखी किताब ‘रॉ हिटमैन‘ इन दिनों खूब चर्चा में है. वे आजकल लेखन से जुड़े हैं. उन्होंने कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखी है. वे इंटरव्यू वगैरह में सीक्रेट मिशंस के किस्से सुना रहे हैं. उन्होंने एक पॉडकास्ट में बताया कि एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान कैसे एक हिंदी गाने ने उनकी जान बचाई थी.
लकी बिष्ट ने सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट में वह किस्सा सुनाया, जब वे स्पेशल ऑपरेशन में कहीं बाहर थे. वे बोले, ‘हम जूते खरीदने के लिए कहीं बाहर गए. हमने जूते का ऑर्डर दिया. हमारे दोस्तों ने भी जूते मंगाए थे. ऑर्डर दे रहे थे कि इतने में क्या हुआ? कुछ दूर से हिंदी गाना सुनाई दिया और वह भी म्यांमार बॉर्डर पर! हमें अजीब लगा कि बहुत दिनों से हिंदी गाना नहीं सुना. हमने पूछा कि यहां हिंदी गाना भी चलता है? उसने कहा- हां हिंदी गाना है. हमने पूछा- कहां से आवाज आ रही है? दुकानवाले ने कहां- वहां से आ रही है. हमने कहा कि आप जूते पैक करो.’
दीमापुर में स्पेशल ऑपरेशन कर रहे थे लकी बिष्ट
लकी बिष्ट ने आगे कहा, ‘हमें 20-25 जूते लेकर जाना था, क्योंकि कैंप से सबको आने की परमिशन नहीं होती. एक-दो लोगों को आउट पास मिल जाता है, वे ही सबका सामान लेकर आएंगे. जैसे मैं उस दुकान तक गया और हम उस गाने को सुन ही रहे थे कि जमीन हिलती है और एक धमाका होता है. दरअसल, जहां पर हम जूते खरीद रहे थे, वहां तक हमें किसी ने फॉलो किया था. हमारे बारे में किसी को इन्फॉर्मेशन आउट हो गई थी. उसने यहां बम प्लांट किया और कई दुकानें उड़ा दीं. हमें पहले नहीं पता था कि यह बम हमारे लिए प्लांट किया था. उस गाने ने हमें बचा लिया.’