संपादकीय

…‘नोट जेहाद’?

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर 5 करोड़ रुपए नकदी बांटने और शराब की बोतलें कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को देने के गंभीर आरोप लगे हैं। महाराष्ट्र में मतदान से कुछ घंटे पहले ही, मुंबई के पास बसई-विरार के एक होटल में, तावड़े नकदी के बैगों के साथ दिखाई दिए, लिहाजा उनके खिलाफ तीन प्राथमिकियां दर्ज की गईं। तावड़े ने आरोपों को खारिज किया है और भाजपा ने इन्हें बेबुनियाद, हास्यास्पद आरोप करार दिया है। विरार और नालासोपारा की स्थानीय पार्टी ‘बहुजन विकास अघाड़ी’ के विधायक-नेताओं और कार्यकर्ताओं ने होटल में हंगामा मचाया, नोट हवा में लहराए, करीब 3 घंटे तक तावड़े की घेराबंदी किए रखी। विरार के विधायक हितेंद्र ठाकुर ने 5 करोड़ नकदी बांटने का आरोप लगाया है। कुछ डायरियों के भी आरोप लगाए हैं, जिनमें दर्ज है कि किसे, कितना पैसा दिया गया। वह 5 करोड़ रुपए का नकदी कहां है, उसे अभी तक बरामद करके सार्वजनिक नहीं किया गया है। अलबत्ता होटल के कमरा नंबर 405, 410, 416 से क्रमश: 9 लाख, 72500 और 14000 रुपए जरूर बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, 4 बोतल शराब और कुछ चुनाव प्रचार सामग्री भी जब्त किए गए हैं। बेशक यह चुनाव की अनैतिकता के साथ-साथ आचार संहिता का उल्लंघन भी है। यह चुनाव-अपराध भी है, क्योंकि प्रचार समाप्त होने के बाद दूसरे चुनाव क्षेत्र में जाना वर्जित है, लिहाजा आचार संहिता का हनन भी है। पुलिस ने संज्ञान लेते हुए बीएनएस की धारा 163 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। आचार संहिता के उल्लंघन के मद्देनजर प्राथमिकी अलग है। सभी तीन प्राथमिकियों में भाजपा नेता विनोद तावड़े को आरोपित बनाया गया है, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। चूंकि विरार क्षेत्र में ‘बहुजन विकास अघाड़ी’ का राजनीतिक प्रभाव है, लिहाजा यह उसकी सियासत हो सकती है। तावड़े नोट बांट रहे हों, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। नालायकी है अथवा यह जानबूझ कर किया गया, लेकिन होटल के उन कमरों के सीसीटीवी बंद थे। जांच के लिए फुटेज कहां से मिलेगी? बहरहाल नकदी बांटना, शराब मुहैया कराना या कुछ और वस्तुएं बांटना हमारे चुनाव-तंत्र का हिस्सा रहे हैं।

नैतिक-अनैतिक होने के सवाल फिजूल हैं। औसतन हर चुनाव में ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। महाराष्ट्र के इन चुनावों में ही 18 नवंबर तक करीब 1000 करोड़ रुपए के नकदी, सोना, चांदी और ड्रग्स पकड़े गए थे। नासिक के एक होटल में शिवसेना (शिंदे) के एक नेता करीब 2 करोड़ रुपए नकदी के साथ पकड़े गए। आरोप एनसीपी (शरद) सांसद सुप्रिया सुले और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर भी आरोप लगाए गए हैं कि बिटक्वाइन की हेराफेरी के पैसे का इस्तेमाल चुनाव में किया जा रहा है। अब जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है कि वह निष्पक्ष जांच करे। हर चुनाव में ऐसा ही निष्कर्ष सामने आता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान 10,000 करोड़ रुपए नकदी, शराब, अन्य वस्तुओं के रूप में पकड़े गए। उनका क्या हुआ? जिन पर केस दर्ज किए गए थे, उनका निष्कर्ष क्या निकला? वे सार्वजनिक क्यों नहीं हो पाए? दरअसल चुनाव आयोग ‘दंतहीन’ निकाय है। उसे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन किसी को दंडित करने के अधिकार नहीं हैं। सवाल यह भी है कि जो करोड़ों रुपए जब्त किए जाते हैं, वे कहां जाते हैं? क्या वे किसी राज्य के खजाने का हिस्सा बनते हैं? अदालत में भी सौंपेंगे, तो वहां से भी सरकार के पास ही नकदी जाएगी। तावड़े प्रकरण सामने आया है, तो उद्धव ठाकरे ने इसे ‘नोट जेहाद’ करार दिया है। राहुल गांधी ने फिर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया है-आखिर ये 5 करोड़ रुपए किस ‘सेफ’ से आए हैं? जनता का पैसा लूट कर आपको किसने टेम्पो में नकदी भेजा है? आरोप जितने भी हों, लेकिन यह कोई न्यायिक निष्कर्ष नहीं है। जितना नकदी, सोना-चांदी आदि इन चुनावों में जब्त किया गया है, उससे महाराष्ट्र में सूखा समाप्त करने की एक योजना लागू की जा सकती थी। इस बार चुनाव आयोग के उडऩदस्तों ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, पार्टी प्रमुख नेताओं आदि के हेलीकॉप्टर तक में तलाशी ली। ऐसे नेता नकदी, शराब आदि लेकर कहां घूमते हैं। नकदी बांटा जाता है, यह हमारे चुनाव का यथार्थ है। उससे अधिक महत्वपूर्ण सवाल चुनाव आयोग की शक्तियों से जुड़े हैं। उसे वाकई ‘दांत’ मुहैया कराने पड़ेंगे।

Show More

Daily Live Chhattisgarh

Daily Live CG यह एक हिंदी वेब न्यूज़ पोर्टल है जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के अलावा राजनीति, प्रशासन, ट्रेंडिंग न्यूज, बॉलीवुड, बिजनेस, रोजगार तथा टेक्नोलॉजी से संबंधित खबरें पोस्ट की जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button